यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया (UPASI) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से केंद्रीय बजट 2023-24 में वृक्षारोपण क्षेत्र (Plantation Sector) के लिए अधिक आवंटन पर विचार करने का आग्रह किया है. UPASI के अनुसार अनुसंधान के लिए धन में वृद्धि समय की दरकार है.
पिछले बजटों में कमोडिटी बोर्डों को धन के आवंटन में काफी कमी ने वृक्षारोपण क्षेत्र को प्रभावित किया है, क्योंकि बोर्ड विकासात्मक योजनाओं को लागू करने और विभिन्न योजनाओं के तहत उत्पादकों को बकाये का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं.
वृक्षारोपण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका
टी बोर्ड को 2021-22 के संशोधित अनुमान में 353.65 करोड़ रुपये की तुलना में 2022-23 में 131.92 करोड़ रुपये का कोष प्राप्त हुआ था. यूपीएएसआई (UPASI) ने बजट पूर्व अपने ज्ञापन में कहा कि वृक्षारोपण क्षेत्र अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह बड़े कार्यबल का समर्थन करता है, विशेषकर उन महिलाओं को जो पिछड़े क्षेत्रों में रहती हैं.
मिश्रित रबड़ पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत
यूपीएएसआई के अध्यक्ष जेफ्री रेबेलो ने कहा कि जब तक इस क्षेत्र में गारंटीकृत स्थिरता नहीं होगी, तब तक रुचि को बढ़ाना और इस क्षेत्र में नए निवेश को आकर्षित करना बहुत मुश्किल होगा. वहीं, चाय, कॉफी, इलायची और काली मिर्च जैसी बागान वस्तुओं के लिए आरओडीटीईपी योजना (RoDTEP Scheme) के तहत निर्यात लाभ कम से कम 5 प्रतिशत और मूल्यवर्धित वृक्षारोपण वस्तुओं (value-added plantation commodities) के लिए 7 प्रतिशत तय किया जाना चाहिए. मिश्रित रबड़ पर आयात शुल्क मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाना चाहिए.
सरकार बढ़ाए मदद का हाथ
UPASI ने कहा कि सरकार अन्य क्षेत्रों को दिए गए समर्थन के समान, वृक्षारोपण की सोशल कोस्ट (social costs) को साझा करके मदद का हाथ बढ़ा सकती है. वहीं, भारतीय वृक्षारोपण क्षेत्र अन्य उत्पादक देशों से प्रतिस्पर्धा (competition) का सामना करने में सक्षम नहीं होने का एक मुख्य कारण उत्पादन की उच्च लागत है जो सीधे तौर पर सोशल कोस्ट से जुड़ा हुआ है जो किसी अन्य प्रतिस्पर्धी (competing) उत्पादक देशों में नहीं है.
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