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गर्मी-लू से बचाने के लिए झींगा मछली को पिलाई जा रही है छाछ, जानें डिटेल 

गर्मी-लू से बचाने के लिए झींगा मछली को पिलाई जा रही है छाछ, जानें डिटेल 

गर्मियों के दौरान झींगा पालकों को झींगा की खुराक, तालाब के पानी का तापमान, पानी का स्तर, तालाब की सफाई आदि पर खास ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि खासतौर पर नॉर्थ इंडिया के राज्यों  में 40 डिग्री और उससे ज्यादा तापमान होने पर झींगा के लिए परेशानी बढ़ जाती है. 

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पंजाब में झींगा पालकों को टिप्स देते डॉ. मनोज शर्मा. फोटो क्रेडिट- मनोज शर्मा पंजाब में झींगा पालकों को टिप्स देते डॉ. मनोज शर्मा. फोटो क्रेडिट- मनोज शर्मा

32 डिग्री से ऊपर का तापमान झींगा मछली के लिए जानलेवा होता है. और अगर इस वक्त नॉर्थ इंडिया की बात करें तो तापमान 38 से लेकर 42 डिग्री तक पहुंच रहा है. ऐसे में मछलियों के तालाब का पानी उबलने जैसा हो जाता है. पानी तेज गर्म होने के चलते उसमे ऑक्सींजन की मात्रा भी कम हो जाती है. लू के थपेड़ों के चलते झींगा के लिए तालाब में परेशानियां खड़ी हो रही हैं. खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मछली पालकों को खासा नुकसान हो रहा है. इसी के चलते झींगा एक्सपर्ट और मछलियों के डॉक्टर मनोज शर्मा ने तीनों राज्यों के कई शहरों का दौरा किया था. 

मछली पालकों ने उन्हें आमंत्रित किया था. गौरतलब रहे राजस्थान के चुरु में भी झींगा पालन होता है. झींगा को गर्मी और लू से बचाने के लिए मछली पालकों को कई टिप्स भी दिए गए हैं. तालाब के पानी और झींगा को दिए जाने वाले फीड से लेकर रखरखाव के बारे में कई अहम बातें साझा की गईं.

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26 से 31 डिग्री तक हो झींगा के तालाब के पानी का तापमान  

झींगा एक्सपर्ट डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि भारत में ज्याादातर विदेशी झींगा का पालन किया जाता है. इस झींगा को 26 से 31 डिग्री तापमान वाले पानी की जरूरत होती है. लेकिन अभी तेज गर्म हवाएं चलने के साथ ही तापमान भी बढ़ रहा है. 42 से 43 डिग्री तक तापमान पहुंच रहा है. यह झींगा के लिए बहुत ही खतरनाक है. यही वजह है कि पंजाब और राजस्थान में गर्मी और लू के चलते झींगा परेशानी में है. 

झींगा का तालाब और इंसेट में डॉ. मनोज शर्मा.
झींगा का तालाब और इंसेट में डॉ. मनोज शर्मा.

तालाब में फाइटो प्लांकटन (अल्गी) लगी होती है. पानी के अंदर इसी से झींगा को मुख्य रूप से ऑक्सीजन मिलती है. लेकिन तेज गर्मी और गर्म पानी के चलते यह मुरझा जाती है. अल्गी के मुरझा जाने या मर जाने से तमाम बैक्टीरिया तालाब में पैदा हो जाते हैं. इन बैक्टीरिया को कम करने के लिए तालाब के पानी में दो दिन तक पानी में घोलकर रखा गया गुड़ या ग्लूकोज भी मिला सकते हैं. बिजली बहुत महंगी है तो मछली पालक पंखे और इरेटर बहुत कम चलाते हैं, लेकिन ऐसा न करें.

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झींगा का तालाब है तो अपनाएं यह उपाय 

डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि मौजूदा मौसम को देखते हुए तालाब के पानी को ठंडा रखने के लिए खासतौर पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक पंखे और पंखे और इरेटर चलाएं. गर्मियों में सूखा खाने को न दें. खाने को फ्रेश मीठे पानी या घर की बनी छाछ में मिलाकर दें. 

झींगा को दी जाने वाली दोपहर की खुराक एकदम कम कर दें. 10 फीसद से ज्यादा खाने को न दें. सुबह-शाम और रात 30-30 फीसद तक खाने को दें. तालाब के पानी की हाईट बढ़ा दें. अगर तालाब में 3.5 फुट पानी है तो उसे पांच से 5.5 फुट कर दें. क्योंकि ऊपर का पानी गर्म भी हो जाएगा तो 3.5 फुट पानी की सतह सामान्य बनी रहेगी.