Flower Oil: ऐसे निकाला जाता है फूलों का तेल, टाइमिंग का है बड़ा रोल, जानें तरीका

Flower Oil: ऐसे निकाला जाता है फूलों का तेल, टाइमिंग का है बड़ा रोल, जानें तरीका

बाजार में डिमांड के चलते आज दमस्क रोज के तेल की कीमत 10 से 12 लाख रुपये प्रति लीटर है. हालांकि दमस्क की खेती और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाजार के हालात के मुताबिक तेल के रेट वक्त-वक्त पर घटते-बढ़ते रहते हैं. आपको बता दें कि दमस्क रोज से एक लीटर तेल निकालने के लिए करीब तीन से साढ़े तीन टन दमस्क रोज की जरूरत होती है.

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Flower Oil: ऐसे निकाला जाता है फूलों का तेल, टाइमिंग का है बड़ा रोल, जानें तरीकाआईएचबीटी में लगे फूल. फोटो क्रेडिट-किसान तक

ये तो हम सभी जानते हैं कि इत्र और परफ्यूम इंडस्ट्री पूरी तरह से फूलों के तेल पर निर्भर है. इसके अलावा खाने के बहुत सारे आइटम में भी खुशबूदार तेलों का इस्ते‍माल किया जाता है. गुलाबजल की खासियत और उसका महत्व  भी किसी से छिपा नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हें कि खुशबूदार फूलों से तेल कैसे निकाला जाता है. एक्सपर्ट की मानें तो फूलों का तेल निकालने में वक्त का बड़ा रोल है. अगर जरा सा भी टाइम इधर से उधर हुआ तो फौरन ही फूलों से निकलने वाले तेल की मात्रा घट जाती है. 

साथ ही हाईटेक तरीके सामने आने के बाद फूलों से तेल निकालने की तकनीक में भी बदलाव आया है. हालांकि कहीं-कहीं अभी भी पुराने ट्रेडिशनल तरीकों से ही फूलों का तेल निकाला जा रहा है. तेल निकालने की प्रक्रिया के दौरान उसे स्टोर करने के लिए भी एक खास बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है. 

ये है फूलों से तेल निकालने का तरीका 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश की प्रोसेसिंग यूनिट में टेक्नीशियन मोनू कुमार ने किसान तक को बताया कि फूलों की मात्रा के हिसाब से तेल निकालने की यूनिट तैयार की जाती है. क्योंकि हमारे संस्थान में तेल निकालने की प्रक्रिया पर रिसर्च की जाती है तो यहां छोटी-बड़ी सभी तरह की यूनिट हैं. एक किलो फूल से तेल निकाला जाए या 100 किलो फूलों से उसमे वक्त तीन से चार घंटे का ही लगता है. 

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सबसे पहले फूलों को एक खास बर्तन में डाला जाता है. उसके बाद उसमे पानी भर दिया जाता है. फिर उसे हीट दी जाती है. लकड़ी और गैस की भट्टी पर काम करने वाले प्लांट भी हैं तो ऐसे भी प्लांट हैं जो हीटर पर काम करते हैं. जैसे ही पानी और फूलों को हीट मिलती है तो उसके अंदर भाप बनना शुरू हो जाती है.

जिस खास बर्तन में फूल और पानी भरा गया है उसके ऊपर एक और सिस्टाम रखा जाता है. इसी सिस्टम के कंडेंसर वाले हिस्से में भाप से बनी बूंदे पहुंचती हैं. कंडेंसर में पहले से ही ठंडा पानी भी भरा होता है. ठंडे पानी के संपर्क में आने के बाद भाप की बूंदों से तेल अलग होकर नली के रास्ते नीचे आ जाता है.  

फूलों से तेल निकालने में ये है टाइमिंग का खेल 

प्रोसेसिंग यूनिट के इंजीनियर डॉ. मोहित शर्मा ने किसान तक को बताया कि जिन फूलों से तेल निकालना होता है उन्हेंक सुबह सूरज निकलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है. इतना ही नहीं फूल तोड़ने के दो घंटे के अंदर ही इन्हें  तेल निकालने के लिए प्रोसेस करना भी जरूरी होता है. अगर फूल सूरज की गर्मी में आ गए तो फिर उनके अंदर से तेल की मात्रा घट जाएगी. 

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इसलिए एल्युमीनियम की बोतल में रखा जाता है फूलों का तेल 

फूलों से निकला प्योर तेल हो या फिर परफ्यूम, सभी को एल्युमीनियम की बोतल में अच्छी  तरह से पैक कर रखा जाता है. लेकिन इसके लिए कांच की बोतल इस्तेमाल नहीं की जाती है. इस बारे में आईएचबीटी के इंजीनियर डॉ. मोहित शर्मा ने बताया कि फूलों के तेल में 100 से 150 कंपाउंड होते हैं. इसमे से करीब 15-16 ऐसे कंपाउंड होते हैं जो तेल में मुख्य भूमिका निभाते हैं. अगर तेल पर सीधी रोशनी पड़ती है तो उसका असर उन कंपाउंड पर पड़ता है. जिसके चलते तेल की क्वालिटी खराब होने का डर रहता है. 

 

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