तेलंगाना चुनाव में युवाओं की आवजा बनीं यह निर्दलीय उम्मीदवार, वायरल रील से आई थीं लाइमलाइट में

तेलंगाना चुनाव में युवाओं की आवजा बनीं यह निर्दलीय उम्मीदवार, वायरल रील से आई थीं लाइमलाइट में

इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कोल्लापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के अपने फैसले से सबको आश्चर्यचकित कर दिया था. शुरुआत में राजनीतिक दलों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन सोशल मीडिया से जबरदस्त समर्थन मिलने के बाद वे मजबूर हो गए. यही वजह है कि राज्य के कई नेता और राजनीतिक दल भी उनसे बौखला गए हैं.

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तेलंगाना चुनाव में युवाओं की आवजा बनीं यह निर्दलीय उम्मीदवार, वायरल रील से आईं लाइमलाइट मेंतेलंगाना विधानसभा चुनाव में स्टार बनीं यह निर्दलीय उम्मीदवार. (सांकेतिक फोटो)

तेलंगाना में 30 नवंबर को वोटिंग होगी. इसके लिए चुनाव प्रचार जोरो है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर तक अपने उम्मीदवारों को जीताने के लिए ताबड़तोड़ रैली कर रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों के भी कई बड़े- छोटे नेता राज्य में डेरा डाले हुए हैं. लेकिन लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कोल्लापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही बर्रेलक्का उर्फ ​​सिरिशा बनी हुई हैं. 

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बर्रेलक्का को भैंसों वाली बहन के नाम से भी जाना जाता है. कुछ महीने पहले तक इन्हें राज्य में कोई नहीं जानता था. लेकिन भैंसों के झुंड के साथ वायरल एक रील ने उन्हें स्टार बना दिया. इस वायरल रील की वजह से महज कुछ ही महीने में पूरे राज्य के लोग उन्हें जानने लगे. ऐसे बर्रेलक्का महबूबनगर गांव की रहने वाली हैं. वह स्नातक हैं. उनका कहना है कि लोग उन्हें चुनाव में आर्थिक रूप से मदद कर रहे हैं. साथ ही आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए लोग उन्हें पैसों से सहायता कर रहे हैं.

बेरोजगारी की प्रतीक बन गईं

बर्रेलक्का अपने काम करने की तरीके से युवाओं को खासा आकर्षित कर रही हैं. वह राज्य में बढ़ रही बेरोजगारी को मुखर होकर उठा रही हैं. इससे सरकारी नौकरियों के लिए अधिसूचनाओं में अधिक देरी होने से हताश और निराश राज्य के हजारों बेरोजगार युवाओं के बीच उनकी अलग पहचान बन गई है. वह इन युवाओं के बीच राज्य में बढ़ती बेरोजगारी की प्रतीक बन गई हैं.

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राजनीतिक दलों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया

इस महीने की शुरुआत में उन्होंने कोल्लापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के अपने फैसले से सबको आश्चर्यचकित कर दिया था. शुरुआत में राजनीतिक दलों ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन सोशल मीडिया से जबरदस्त समर्थन मिलने के बाद वे मजबूर हो गए. यही वजह है कि राज्य के कई नेता और राजनीतिक दल भी उनसे बौखला गये हैं. वे बहुत चिंतित हैं, क्योंकि वह शीर्ष दावेदारों की संभावनाओं को बिगाड़ सकती हैं. वहीं, बर्रेलक्का की बढ़ती लोकप्रियता के चलते युवाओं, बुद्धिजीवियों और और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चुनाव में उन्हें समर्थन करने की घोषणा की है. ये लोग चुनाव अभियान में उनकी सहायता के लिए राज्य भर से फंड और संसाधन जुटा रहे हैं. 

चुनाव लड़ने से समाज में बहस छिड़ जाएगी

एक कार्यकर्ता ने बताया कि हम समान विचारधारा वाले लोगों को मंगलवार शाम को अभियान बंद होने तक बारी-बारी से उनके निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने के लिए टाइम टेबल बना रहे हैं. वहीं, राजनीति विशेषज्ञ जी हरगोपाल ने कहा कि यह समाज द्वारा किया गया एक तरह का प्रयोग है. यह एक युवा महिला द्वारा लोगों से अपने मन की बात कहने का एक मासूम प्रयास है. उनके लिए चुनाव जीतना आसान नहीं है. लेकिन निश्चित रूप से उनके चुनाव लड़ने से समाज में बहस छिड़ जाएगी.

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उच्च न्यायालय का रुख किया

मुख्य राजनीतिक दल के नेता जो पहले उनकी उम्मीदवारी पर चुप्पी साधे हुए थे, अब खुलकर विरोध कर रहे हैं. उन नेताओं का कहना है कि  बर्रेलक्का का कोई महत्व नहीं है. लेकिन उन पर और उनके भाई पर हुए शारीरिक हमले से पता चला कि उन्होंने कुछ लोगों को परेशान कर दिया है, जिससे कुछ पार्टियों की नींद उड़ गई है. यही वजह है कि उन्होंने सुरक्षा की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.

 

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