देश में पिछले कुछ महीनों से किसान और श्रमिक संगठन अपनी मांगों को लेकर मुखर तो हैं, लेकिन किसी प्रकार का बड़ा आंदोलन या विरोध-प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. इस बीच, अब संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) बुधवार 9 जुलाई को श्रमिकों और किसानों के हक में होने जा रही देशव्यापी हड़ताल को समर्थन देने का ऐलान किया है. संगठन ने देशभर के किसानों से इसमें बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की है. SKM ने प्रेस रिलीज जारी कर बयान में कहा कि यह हड़ताल न सिर्फ श्रमिकों के अधिकारों को लेकर है, बल्कि किसानों की पुरानी और अहम मांगों को लेकर भी जमीन पर एक नई एकता को जगह देने की शुरुआत है.
इस आम हड़ताल की सबसे अहम मांग सरकार की बनाई गई 4 नई श्रम संहिताओं को रद्द करना है. श्रमिक संगठनों और एसकेएम का कहना है कि ये श्रम कानून ‘हायर एंड फायर’ नीति को कानूनी रूप देंगे, जिससे ठेका प्रथा को बढ़ावा मिलेगा और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, पेंशन और न्यूनतम मजदूरी जैसी बुनियादी गारंटी से भी वंचित कर दिया जाएगा. श्रमिकों की अन्य मांगें...
एसकेएम ने हड़ताल में किसानों से भी अपनी स्वतंत्र और पुरानी मांगों को लेकर आवाज उठाने का आह्वान किया है. संगठन ने MSP का कानून बनाने की मांग उठाते हुए सभी फसलों के लिए C2 + 50% फॉर्मूले पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने और इसकी कानूनी गारंटी देने की मांग की है. किसानों को लेकर संगठन ने अन्य मांगें भी उठाई हैं. संगठन की मांग है कि वह किसानों को कर्ज के जाल से निकालने के लिए व्यापक कर्जमाफी अभियान चलाए.
इसके अलावा एसकेएम ने मनरेगा में सुधार की मांग करते हुए साल में 200 दिन का रोजगार की गारंटी देने और 600 रुपये दैनिक मजदूरी देने की मांग उठाई है. साथ ही प्रवासी और बटाईदार किसानों के अधिकारों को कानूनी सुरक्षा, एलएआरआर एक्ट का पालन और जमीन अधिग्रहण पर नियंत्रण और बिजली के निजीकरण का विरोध और कृषि क्षेत्र में सब्सिडी जारी रखने की मांग उठाई है.
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि केंद्र की एनडीए सरकार अमेरिका के दबाव में देश के श्रमिकों और किसानों के अधिकार छीन रही हैं. अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारतीय बाज़ार में सब्सिडी वाले अमेरिकी कृषि उत्पाद बिना टैक्स के आने लगेंगे, जिससे भारतीय किसानों की आय पर बड़ा असर पड़ेगा.
इन समझौतों के जरिए अमेरिकी कंपनियों को दूध, गेहूं, चावल, फल-सब्जियां और GM फसलों का बड़ा बाजार मिलेगा, जबकि भारतीय किसानों को उनके ही देश में नुकसान होगा. इसके अलावा सरकार राशन प्रणाली, ईंधन सब्सिडी और उर्वरक पर दी जाने वाली सहायता भी हटाने की तैयारी में है.
किसान संगठन का कहना है कि 1991 के बाद से यह देश की 22वीं आम हड़ताल है, जिसमें मजदूर और किसानों संयुक्त रूप से शामिल होंगे. एसकेएम ने ऐलान किया है कि 9 जुलाई को देशभर में तहसील स्तर पर प्रदर्शन होंगे. यह प्रदर्शन न सिर्फ ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर किए जाएंगे, बल्कि कृषि श्रमिकों और महिला स्कीम वर्कर्स को भी साथ लिया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी मेहनतकश लोगों से अपील की है कि इस हड़ताल को आजादी के बाद का सबसे बड़ा मजदूर-किसान एकता दिवस मनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य मिल सके.
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