चीनी के दाम बढ़ना या घटना दोनों ही आम जनता को काफी प्रभावित करता है. आंकड़ों की मानें तो देश में इस बार चीनी की कीमतों में वृद्धि देखी जा सकती है, क्योंकि इस साल चीनी उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रही है. अप्रैल में ही लगभग 75 प्रतिशत चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं. दरअसल, निजी चीनी कंपनियों की एक उद्योग निकाय, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, 2022-23 चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 15 अप्रैल तक देश में चीनी का उत्पादन 5.4 प्रतिशत घटकर 31.1 मिलियन टन हो गया, जो कि एक साल पहले की अवधि में 32.87 मिलियन टन था. वहीं, लगभग 400 मिलों ने पिराई बंद कर दिया है और केवल 132 कारखानों में 15 अप्रैल तक पेराई जारी है, जबकि एक साल पहले की अवधि में 305 चीनी मिल चालू थे.
वहीं, एक्सपर्ट्स ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में चीनी उत्पादन में कोई सुधार देखने की संभावना नहीं है, जिससे देश में कुल उत्पादन में गिरावट की संभावना बढ़ सकती है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, इस्मा यानी इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन अगले सप्ताह अपनी अगली समिति की बैठक में उत्पादन का आकलन करने वाली है, क्योंकि इस वर्ष संभावित उत्पादन पर एक उचित विचार होगा. इस्मा ने चालू वर्ष के उत्पादन का अनुमान 34 मिलियन टन (इथेनॉल की मात्रा को छोड़कर) लगाया है, जबकि देश में 2021-22 सीज़न में 35.76 मिलियन टन उत्पादन हुआ था. वहीं वार्षिक घरेलू खपत 27.5 मिलियन टन आंकी गई है.
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महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा और राजस्थान में पेराई खत्म हो गई है, जबकि कर्नाटक में केवल दो मिलें चल रही हैं और उत्तर प्रदेश में 77 मिलों ने अभी तक अपने प्लांट बंद नहीं किए हैं. केवल तमिलनाडु की मिलों और यूपी की कुछ फैक्ट्रियों में अगले महीने पेराई जारी रहने की उम्मीद है, जबकि अन्य राज्यों में पेराई इस महीने तक समाप्त हो सकती है.
उत्तर प्रदेश में उत्पादन 9.44 मिलियन टन के मुकाबले 9.66 मिलियन टन, जोकि अधिक है. जबकि महाराष्ट्र में यह 12.65 मिलियन टन से घटकर 10.5 मिलियन टन और कर्नाटक में 5.8 मिलियन टन से 5.53 मिलियन टन हो गया है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक देश के टॉप तीन चीनी उत्पादक राज्य हैं. वहीं तमिलनाडु में अभी भी 28 मिलें चल रही हैं, उतनी ही संख्या जितनी साल पहले की अवधि में थी, और उत्पादन 0.77 मिलियन टन से लगभग 34 प्रतिशत बढ़कर 1.03 मिलियन टन हो गया है.
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हालांकि, इस्मा ने इथेनॉल उत्पादन डेटा साझा नहीं किया है, लेकिन इथेनॉल के उत्पादन के लिए पैन-इंडिया डायवर्जन (चीनी के संदर्भ में) जो 15 मार्च तक 3.11 मिलियन टन से 22 प्रतिशत अधिक था, लगभग 8 प्रतिशत तक कम हो गया है.
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