उत्तर प्रदेश के वाराणसी में तीन दिवसीय जी-20 कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक में 'सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम फॉर हेल्दी पीपल एंड प्लेनेट' विषय पर विचार विमर्श हुआ, जिसमें भारत की भूमिका अहम रही. असल में श्रीअन्न और अन्य प्राचीन अनाजों के उत्पादन एवं पोषणीय लाभ के प्रति शोध एवं जागरूकता के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल 'महर्षि' पर चर्चा प्रस्तावित की थी. इस दौरान G-20 राष्ट्रों,आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने महर्षि पहल का समर्थन किया. बैठक में श्रीअन्न को जलवायु अनुकूल एवं पोषणीय फसलें बताया गया. साथ ही बैठक में मोटे अनाजों पर अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर किए जाने को लेकर भी चर्चा हुई.
जी-20 बैठक में कृषि अनुसंधान एवं विकास में डिजिटल कृषि और सतत कृषि मूल्य श्रृंखला तथा सार्वजनिक निजी भागीदारी पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक तथा आईएनआरएई के अध्यक्ष एवं सीईओ खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (फ्रांस) ने जी-20 बैठक में अपने-अपने देशों प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन ,फसल विविधीकरण, मिट्टी तथा जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और बायोफोर्टीफाइड फसलों से संबंधित विषयों पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.इस दौरान दोनों देशों के बीच कृषि विषयों पर एक दूसरे का सहयोग करने पर भी सहमति बनी.
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G-20 बैठक के दूसरे दिन एफएओ (FAO) के साथ द्विपक्षीय की बैठक हुई. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महासचिव डॉ हिमांशु पाठक ने बैठक में कहा किसानों तथा कृषि संबंधित विस्तार सेवाओं को प्रभावी ढंग से पहुंचाने में केवीके(KVK) का सहयोग अति महत्वपूर्ण होगा. एफएओ (FAO) के जनप्रतिनिधियों ने भी कृषि विस्तार सेवा में सहयोग बढ़ाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. इस बैठक में एफएओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ इश्महाने एलौफी तथा एफएओ के वरिष्ठ कृषि अधिकारी डा सेल्वा राजू रामास्वामी ने भाग लिया. बैठक में प्रतिनिधियों ने बीज उत्पादन के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की सराहना की और कहा कि भारत की अन्य देशों के लिए बीज उत्पादन के क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका होगी.
वाराणसी के होटल ताज में जी-20 के दूसरे दिन डिजिटल कृषि तथा ट्रेसबिलिटि पर आधारित फसल एवं खाद्य क्षति को कम करने के लिए डिजिटल तकनीक द्वारा समाधान, एग्रीटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम, बहुआयामी कृषि विस्तार और सलाहकार सेवाएं, प्रयोगशाला से भूमि और आउटरीच में सुधार के लिए भागीदारी, छोटे किसान और पारिवारिक खेती, G-20 कृषि अनुसंधान एवं विकास के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग, सार्वजनिक वस्तुओं के लिए सार्वजनिक निजी कृषि अनुसंधान एवं विकास, नवाचार के क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कृषि वैज्ञानिकों के मध्य विचार विमर्श किया गया.
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