अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ ने सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि देश में चीनी उत्पादन लागत से कम भाव पर बेची जा रही है, ऐसे में बिक्री मूल्य बढ़ाये जाने की जरूरत है. उन्होंने केंद्र सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) मौजूदा से 31 रुपये प्रति किलो बढ़ाने का आग्रह किया है, जिसे 2018-19 से संशोधित नहीं किया गया है. इसके लिए बना बेंचमार्क चीनी एमएसपी उद्योग की कीमतों में गिरावट को रोकने में मदद करता है. क्योंकि सालों से बचे हुए घरेलू कोटे की मीलें जल्द से जल्द बेचने के लिए दरों को कम करती हैं.
दरअसल अखिल भारतीय चीनी व्यापारी संघ (एआईएसटीए) सहकारी चीनी मिलों के शीर्ष निकाय, सहकारी चीनी कारखानों के राष्ट्रीय संघ (एनएफसीएफएस) और निजी मिलों के समक्ष चीनी के एमएसपी में संशोधन की मांग को लेकर बैठक की गई. इसको लेकर एपेड बॉडी, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.
प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में पिछले हफ्ते एनएफसीएफएस ने मांग की है कि गुणवत्ता के आधार पर एमएसपी को 39.70 रुपये किलोग्राम तक बढ़ाया जाए. इसी तरह इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने भी खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर चीनी का एमएसपी को बढ़ाकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है.
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एनएफसीएफएस के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर ने कहा कि चीनी(एमएसपी में संशोधन) की अनुपस्थिति में उद्योग को 'नकद घाटे' का सामना करना पड़ेगा और किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के भुगतान की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा,
इसको लेकर सहकारी चीनी उद्योग निकाय ने सुझाव दिया है कि अलग-अलग चीनी के ग्रेड़ो पर मूल्य बढ़ाया जाए, जिसमें 'एस' ग्रेड के लिए एमएसपी 37.20 प्रति किलोग्राम, 'एम' ग्रेड के लिए 38.20 प्रति किलोग्राम और 'एल' ग्रेड के लिए 39.70 प्रति किलोग्राम निर्धारित किया जाए. साथ ही उन्होंने बचाया कि गन्ने के लिए 305 रुपये प्रति क्विंटल के वर्तमान एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) पर 10.25 प्रतिशत की रिकवरी पर चीनी की कीमत 2,975.76 रुपये प्रति क्विंटल के बराबर है, जो कि वर्तमान 3,100 रुपये प्रति क्विंटल का 96 प्रतिशत है.
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