गैर बासमती चावल के निर्यात पर केंद्र सरकार के द्वारा पूर्ण रूप से रोक लगाने के बाद भारत -नेपाल सीमा पर चावल की तस्करी बढ़ गई है. गोरखपुर के सीमावर्ती जिलों से इन दिनों बड़े पैमाने पर चावल की तस्करी होने लगी है. तस्करों का बड़ी खेप भी इन दिनों सीमा पर पकड़ी जानें लगी है. इसके पहले भी भारत में एक साल पहले शराब महंगी थी तो नेपाल के रास्ते खूब तस्करी होने लगी थी. वहीं अब नेपाल में चावल की कीमतें महंगी होने के बाद गोरखपुर के आसपास के जनपदों से बच्चों और महिलाओं के द्वारा तस्करी बढ़ गई है. तस्कर बच्चों और महिलाओं को लालच देकर झोले और बोरी में साइकिल और पैदल रास्तों से चावल की तस्करी करवा रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा सीमा पर चावल की खेप भी पकड़ी जा रही है
भारत से तस्करी होने के बाद चावल नेपाल में महंगे दामों में बेचा रहा है. नेपाल में भारत का मोटा चावल 10 से 12 रुपए प्रति किलो अधिक कीमत पर बिक रहा है जबकि महीन चावल 15 से 18 रुपए प्रति किलो महंगा बिक रहा है. इस तरह हर रोज प्रतिबंध के बावजूद 300 से 500 क्विंटल चावल की तस्करी हो रही है.
केंद्र सरकार के द्वारा पिछले महीने गैर बासमती चावल के निर्यात पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई हैं. इससे भारतीय चावल की कीमत कई देशों में बढ़ने लगी है. नेपाल में भी चावल का उत्पादन सीमित मात्रा में होता है. इन दिनों नेपाल में मोटा चावल ₹35 प्रति किलो के भाव से बिक रहा है जबकि महीन चावल ₹50 प्रति किलो के भाव में बेचा जा रहा है जबकि भारत में इन चावलों के दाम काफी कम है. ऐसे में इन दिनों गोरखपुर के सीमावर्ती इलाकों से नेपाल के लिए चावल की तस्करी बढ़ गई है. चावल के तस्कर हर रोज 500 क्विंटल तक चावल नेपाल पहुंच रहे हैं. तस्करों को चावल में इन दिनों काफी मुनाफा हो रहा है.
ये भी पढ़ें :Success Story: 53 साल जंगलों में खाक छानने के बाद बनाई आरोग्य वाटिका, अब राष्ट्रपति से मिलेगा सम्मान
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल के कई जिलों की सीमाएं नेपाल के साथ लगी हुई है. लखीमपुर खीरी, बहराइच, सिद्धार्थ नगर जैसे जनपदों से इन बड़े पैमाने पर चावल की तस्करी हो रही है क्योंकि इन जिलों की सीमाएं पूरी तरीके से खुली हुई है. दिन में भारतीय के द्वारा सीमावर्ती जिलों के गांव-गांव में चावल की खरीद होती है फिर इन चावलों को छोटी-छोटी बोरी और झोलों के माध्यम से बच्चे और महिलाएं नेपाल के सीमावर्ती गांव तक पहुंचाती है. तस्करी के इस खेल में कारोबारी भी सक्रिय है. ऑपरेशन बज्र के तहत सोनौली बॉर्डर पर पुलिस और एसएसबी की संयुक्त टीम के द्वारा लगातार तस्करी की घटनाओं को पकड़ा गया है. इससे पहले भी चावल तस्करी की कई घटनाओं को पकड़ा जा चुका है.
एसपी सिद्धार्थ नगर अभिषेक कुमार अग्रवाल ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा पर होने वाली तस्करी और अन्य अपराधों को रोकने के लिए सीमावर्ती थानों को निर्देशित किया गया है. वे नियमित रूप से चेकिंग कर रहे हैं. पकड़े जानें पर कार्रवाई भी की जा रही है.
चावल की तस्करी पर रोक लगाने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां के चौकन्ना होने के बाद तस्कर भी दूसरे तरीके अपनाने लगे हैं. सीमावर्ती जिलों से बच्चों और महिलाओं को लालच देकर चावल की तस्करी कराई जा रही है. पहले नेपाल के नजदीक भारतीय सीमा से लगे हुए गांव में चावल को रख दिया जाता है फिर इसे थोड़ा-थोड़ा करके बच्चे और महिलाएं नेपाल में ले जाते हैं जब सुरक्षा एजेंसी के लोग इनको पकड़ते हैं तो वे खाने का हवाला देकर निकल जाते हैं. बच्चों और महिलाओं के पास 10 से 30 किलो तक चावल होता है जिनको सुरक्षाकर्मी भी छोड़ देते हैं. सूत्रों की मानें तो इन तरीकों से हर रोज 200 से 500 क्विंटल तक चावल की तस्करी हो रही है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today