खेती-किसानी से दूर रहने वाले शहरी बच्चे शनिवार को धान की रोपाई कर रहे थे. साथ ही साथ रोपाई तक हुई धान की यात्रा के बारे में जानकारी भी ले रहे थे. धान के पौधे लाइन में रहें और एक दूसरे की दूरी सही रहे इसके लिए इन नौनिहालों ने खेत के एक तरफ से दूसरी तरफ तक रस्सी लगाई हुई थी. मौका था एपिडा के अधीन काम करने वाले मोदीपुरम, मेरठ स्थित बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के डेमोस्ट्रेशन फॉर्म पर हो रही धान की रोपाई का. इस दौरान कमला देवी सरस्वती शिशु मंदिर शास्त्री नगर मेरठ के विद्यार्थियों ने बासमती धान की बारे में जानकारी की एवं खेत में बासमती धान की रोपाई का अनुभव प्राप्त किया. वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया कि कैसे धान की नर्सरी तैयारी होती है और फिर 21 दिन बाद उसकी रोपाई होती है.
विद्यार्थियों ने बासमती धान और खेती के बारे में विभिन्न तरह के प्रश्न पूछे. जिनका बीईडीएफ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा एवं वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार तोमर ने जवाब देकर उनकी जिज्ञासा शांत की. विद्यार्थियों में धान की रोपाई करने के लिए काफी उत्साह रहा. उन्हें पता चला कि कैसे चावल उन तक पहुंचता है. इसके पीछे क्या-क्या करना होता है. उन्हें बताया गया कि देश के सात राज्यों में बासमती धान की खेती होती है.
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डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों के शैक्षिक भ्रमण का आयोजन केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति के तहत हुआ है. देश के नौनिहालों को स्कूल स्तर पर ही प्रयोगात्मक ज्ञान देने के लिए विद्यालय की प्रधानाचार्य गीता देवी और बीईडीएफ ने यह पहल की. भ्रमण के दौरान एक विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. जिसमें सवाल पूछे गए और सफल विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया.
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन की स्थापना कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा की गई है. यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत रजिस्टर्ड एक सोसायटी है. यूपी सरकार ने बीईडीएफ की गतिविधियों के लिए उपयोग करने के लिए एपिडा को 70 वर्ष के लिए पट्टे पर 10 एकड़ भूमि प्रदान की है.
सरदार वल्लभभाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी, मोदीपुरम, यूपी के परिसर में इस भूमि पर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला और प्रदर्शन फॉर्म स्थापित किया गया है. इसका काम बासमती एक्सपोर्ट में मदद करना, बीज पैदा करना और धान की फसल पर कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर किसानों को सलाह देना है.
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