वैश्विक बाजार में पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय चावल की कीमतों में लगभग 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, फिर भी वे कंपटीशन में बने हुए हैं, क्योंकि अन्य देशों के चावल की भी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी होने की वजह से निर्यात पर असर पड़ा है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, एग्रीकल्चरल कमोडिटीज एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एसीईए) के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश ने कहा, “कोई बिजनेस नहीं हो रहा है, क्योंकि खरीदारों का मानना है कि कीमतें अधिक हैं. केवल सिंगापुर और पूर्वी तिमोर से सस्ते चावल के लिए इन्क्वायरी हो रही है.”
वहीं, द राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीआरईए) के अध्यक्ष बीवी कृष्णा राव ने कहा, "हाल ही में भारतीय चावल की कीमतों में 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जुलाई-सितंबर माह के दौरान यह सामान्य बात है." उन्होंने कहा कि वियतनाम और अफ्रीकी देशों की मांग के कारण उसना चावल की कीमतें 380-390 डॉलर प्रति टन के स्तर से बढ़कर 430 डॉलर हो गई हैं.
व्यापारियों के अनुसार, चावल की कीमतों में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण धान की कीमतों में बढ़ोतरी या धान की अनुपलब्धता की खबरें हैं. वहीं दिल्ली स्थित व्यापार विश्लेषक एस. चंद्रशेखरन ने कहा, “ऐसा लगता है कि धान की कमी है, खासकर दक्षिण में जिससे कीमतें बढ़ रही हैं. चावल की तुलना में धान की कीमतों में अभी भी कोई समानता नहीं है.”
इसे भी पढ़ें- 30 दिन में टमाटर बेचकर करोड़पति बन गया किसान, 12 एकड़ में खेती ने कर दिया कमाल
जबकि, बल्क लॉजिक्स के निदेशक वीआर विद्या सागर ने कहा, "पिछले हफ्ते, हमने चावल, एक्स-मिल, 29,000 रुपये प्रति टन पर खरीदा था, लेकिन अब इसकी कीमत 30,500 रुपये प्रति टन है." उन्होंने आगे कहा, "बाढ़ के कारण उत्तर भारत में धान का उत्पादन प्रभावित होने और कम बारिश होने के कारण चालू खरीफ की बुआई के दौरान अनाज का रकबा कम होने की आशंका से कीमतें बढ़ी हैं."
उत्तर भारत के एक व्यापारी ने कहा कि धान की कीमतें हर दिन बढ़ रही हैं, खासकर छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में. व्यापारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में ऐसा कभी नहीं देखा गया था. उन्होंने कहा, "उपलब्ध धान की मात्रा भी कम है. तमिलनाडु के थूथुकुडी जैसे केंद्रों से धान की कमी की सूचना मिल रही है.” .
इसे भी पढ़ें- Cardamom Farming: इलायची की खेती कर किसान कमा सकते हैं लाखों, यहां जानें कैसे?
गौरतलब है कि व्यापारियों का एक वर्ग चावल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल करने के छत्तीसगढ़ सरकार के कदम को जिम्मेदार ठहरा रहा है. हालांकि, व्यापारी इस बात पर एकमत हैं कि सितंबर से कीमतें कम होनी शुरू हो सकती हैं. वहीं अमेरिकी कृषि विभाग ने 2023-24 मार्केटिंग सीजन (सितंबर-अगस्त) में भारत का चावल निर्यात बढ़कर 24 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है. इसने इस सीजन में रिकॉर्ड 136 मिलियन टन की तुलना में भारत का चावल उत्पादन 134 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today