छत्तीसगढ़: कुछ समय पहले तक, राज्य के किसान अन्य फसलों को उगाने की संभावनाओं की तलाश किए बिना खुद को धान की खेती तक सीमित रखते थे. हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत के बाद बड़ा बदलाव आया है. अब जांजगीर चांपा जिले के किसान धान की खेती के अलावा कई अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार धान की खेती के जगह पर अन्य फसलों की खेती के लिए किसानों को 9,000 से 10,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दे रही है. नतीजतन, जिले के किसान धान की खेती से वैकल्पिक फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इसी कड़ी में जांजगीर चांपा जिले के पामगढ़ विकासखंड के रसोता गांव के प्रगतिशील किसान लक्ष्मी जायसवाल धान की खेती छोड़ मूंगफली की खेती कर रहे हैं.
दरअसल, प्रगतिशील किसान लक्ष्मी जायसवाल राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी से लाभान्वित होकर धान की खेती से हटकर मूंगफली की खेती करने लगे हैं. टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि पहले वह अपने खेतों में धान की खेती करते थे. हालांकि, धान के अलावा अन्य फसलों की खेती के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी के बारे में जानने के बाद, उन्होंने मूंगफली की खेती करने का फैसला किया. इस पहल के लिए उन्हें कृषि विभाग का भी समर्थन मिला.
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जायसवाल ने आगे बताया कि धान के बजाय वैकल्पिक फसलें चुनने से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है बल्कि एक विशिष्ट अवधि के दौरान स्थिर और उच्च आय भी सुनिश्चित होती है.
वर्तमान में, वह 3 एकड़ भूमि पर मूंगफली की खेती कर रहे हैं, जिससे प्रति एकड़ लगभग 60,000 रुपये की आय हो रही है और कुल मिलाकर लाखों रुपये की कमाई हो रही है. उन्होंने बताया वह आगामी सीजन में मूंगफली की खेती का विस्तार करना चाहते हैं. उन्होंने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से मिली सहायता के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का आभार व्यक्त किया.
छत्तीसगढ़ सरकार ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के माध्यम से किसानों को मक्का, सोयाबीन, कुटकी, अरहर, दलहन, तिलहन और गन्ना समेत कई फसलों के उत्पादन के लिए 9 हजार रूपये प्रति एकड़ सहायता राशि प्रदान करती है. इसके अलावा जो किसान एमएसपी पर अपने धान को बेचते हैं और धान के बदले मक्का, सोयाबीन, अरहर, कुटकी, पपीते या वृक्षारोपण करते हैं, उन्हें 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है. यह लाभ राज्य के सभी किसानों को दिया जाता है.
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