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मछली पालन को बढ़ावा देने के ल‍िए केंद्र ने दी 14659 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी 

मछली पालन को बढ़ावा देने के ल‍िए केंद्र ने दी 14659 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी 

PMMSY: मत्स्यपालन क्षेत्र में बड़े पर‍िवर्तन के ल‍िए सात क्षेत्रों में अध्ययन करेगा नेशनल प्रोडक्ट‍िव‍िटी काउंस‍िल, नौ महीने में पूरा होगा काम. केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा भारत की अर्थव्यवस्था में मत्स्य क्षेत्र का परिवर्तनकारी योगदान. 

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मछलीपालन को लेकर एनपीसी में आयोज‍ित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला. (Photo-Department of Fisheries). मछलीपालन को लेकर एनपीसी में आयोज‍ित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला. (Photo-Department of Fisheries).

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा है सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत मछली पालन उद्योग से जुड़े व्यक्तियों, समूहों और उद्योग के ल‍िए 31 मार्च 2023 तक 14659.12 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है. यह योजना मत्स्य विभाग द्वारा चलाई जा रही है. पीएमएमएसवाई के तहत 20,050 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से देश में नीली क्रांति लाने की योजना है. यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है. इसे मछली उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता से लेकर टेक्नोलॉजी, पोस्ट हार्वेस्ट के बुनियादी ढांचे और मार्केट‍िंग तक पूरी फ‍िशरीज वैल्यू चेन के लिए डिज़ाइन किया गया है. 

रूपाला नई द‍िल्ली स्थ‍ित नेशनल प्रोडक्ट‍िव‍िटी काउंस‍िल (एनपीसी) में आयोज‍ित एक कार्यक्रम को संबोध‍ित कर रहे थे. एनपीसी ने प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत नए सिरे से प्रोत्साहन देने के लिए सात प्रमुख अध्ययन करने का बीड़ा उठाया है. कार्यक्रम में रूपाला ने कहा क‍ि "देश की जीडीपी में मत्स्यपालन क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में पीएमएमएसवाई परिवर्तनकारी साबित हुई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा क‍ि देश की मत्स्यपालन क्षमता असीम है और इसका अभी भी जैविक तथा टिकाऊ तरीके से दोहन किया जाना शेष है. रूपाला ने कहा क‍ि एनपीसी द्वारा सात क्षेत्रों में अध्ययन किए जाएंगे. अगले नौ महीनों में इस कार्य को पूरा क‍िया जाएगा. 

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क्या-क्या अध्ययन करेगी एनपीसी 

  • आंध्र प्रदेश की मछली मार्केट‍िंग प्रणाली में सर्वोत्तम कार्य का कार्यशाला के माध्यम से प्रसार. 
  • ऊपरी गंगा के मैदानी क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए मछली पकड़ने के तरीकों की कृषि-जलवायु क्षेत्र-विशिष्ट मैपिंग. 
  • विक्रेताओं द्वारा अंतरदेशीय और समुद्री मछलियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला में उपयोग किए जाने वाले भंडारण कंटेनरों के डिजाइन में सुधार. 
  • गाजीपुर और हावड़ा मछली बाजारों के मछली मार्केट‍िंग बुनियादी ढांचे में सुधार. 
  • आरएएस और बायोफ्लॉक टेक्नोलॉजी का मूल्यांकन और कार्यशाला के माध्यम से उनका प्रसार. 
  • पीएमएमएसवाई के कार्यान्वयन के निगरानी तंत्र को सुदृढ़ करना
  • अंतरदेशीय और समुद्री मात्स्यिकी में पोस्ट हार्वेस्ट के नुकसान का आकलन करना और इन नुकसानों को कम करने के उपायों का सुझाव देना.

क्या कर रही है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

रूपाला ने कहा क‍ि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (मत्स्यपालन सेक्टर की क्षमता अर्जित करने की इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. मत्स्यपालन सेक्टर के महत्व को समझते हुए सरकार ने सचेत रूप से पीएमएमएसवाई की रूपरेखा तैयार की है जिससे कि देश में टिकाऊ नीली क्रांति लाई जा सके. उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, पीएमएमएसवाई मछुआरों, मत्स्यपालकों, युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों आदि के लाभ के लिए कार्यकलापों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत कर रही है. इस स्कीम ने क्लस्टर विकास, मत्स्यपालन सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि, हितधारकों के लिए उच्चतर आय का सृजन आदि में सुविधा प्रदान की है. इसके तहत निजी सेक्टर की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण का सृजन किया है. 

कृष‍ि न‍िर्यात में क‍ितनी है मछली उत्पादों की ह‍िस्सेदारी

इस मौके पर एनपीसी के महानिदेशक संदीप नायक ने कहा कि भारत दूसरा सबसे बड़ा जल-संसाधन उत्पादक देश है और शीर्ष मछली निर्यातक देशों में शामिल है. भारत का लगभग 17 फीसदी कृषि निर्यात, मछली और मछली उत्पादों से होता है. मत्स्य क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली किसानों और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला के साथ कई अन्य को आजीविका प्रदान करता है. पीएमएमएसवाई मछुआरों, मछली किसानों, युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों आदि के हित के लिए गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है. संगठित तरीके से क्षेत्र के विकास और विस्तार को गति देते हुए, पीएमएमएसवाई ने उद्यमशीलता के विकास और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया है.

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