
टीवी पर कभी-कभी आपने अंडे का एक विज्ञापन देखा होगा. इस विज्ञापन की पंच लाइन है, ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’. बेशक इस लाइन का असर हमारे देश में कम देखने को मिल रहा हो, लेकिन ऐसा लगता है कि इस विज्ञापन को या इस जैसे अंडे के किसी दूसरे विज्ञापन को विदेशों में खूब देखा जा रहा है. क्योंकि लगातार भारतीय अंडों की डिमांड विदेशों में बढ़ रही है. अंडा उत्पादन के मामले में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है. पहले और दूसरे पर चीन और अमेरिका हैं. रूस और यूक्रेन युद्ध का भारतीय पोल्ट्री मार्केट को ये बड़ा फायदा मिला कि कई दूसरे देश जैसे श्रीलंका और मलेशिया पहली बार भारत अंडा खरीदने आए.
विश्व अंडा उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है. साल 2021-22 में देश में 129.60 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ था. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन होता है. यह सभी राज्य खुद की डिमांड पूरी करने के साथ ही दूसरे राज्यों को भी अंडा सप्लाई करते हैं और एक्सपोर्ट भी करते हैं.
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डेयरी और पशुपालन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021-22 में देश में 129.60 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ था. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अंडा उत्पादन का आंकड़ा हर साल 6.5 से लेकर सात फीसदी की दर से बढ़ रहा है. अगर साल 2019-20 की बात करें तो 114 बिलियन और 2020-21 में 122 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ था. देश में प्रति व्यक्ति सालाना 95 अंडों की खपत है. अगर जापान की बात करें तो वहां ये आंकड़ा 320 अंडे का है. लेकिन हमारे देश में अंडे को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, इसलिए इसकी खपत कम है.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने 'किसान तक' को बताया कि यह कोई पहला मौका नहीं है कि भारत से अंडा एक्सपोर्ट हो रहा है. अरब देशों में भी अंडा एक्सपोर्ट होता है. मलेशिया भी अगर भारत से अंडा खरीदने आया है तो उसकी एक सबसे बड़ी वजह है यहां के अंडे का सस्ता होना. क्योंकि हमारे देश में दूसरे देशों के मुकाबले पोल्ट्री फीड सस्ती है. जिन सभी आइटम से फीड बनती है वो सभी हमारे अपने देश में ही होते हैं. किसी भी चीज को हमे इम्पोर्ट नहीं करना पड़ता है.
दूसरा यह कि हमारे यहां लेबर सस्ती है. जबकि दूसरे देशों में दोनों ही चीजें महंगी हैं. मलेशिया ने दिसम्बर 2022 से हमारे देश से अंडा खरीदना शुरू किया था.. दिसम्बर में मलेशिया ने 5 मिलियन और जनवरी में 10 मिलियन अंडा खरीदा. सस्ता होने के चलते मलेशिया भारत से अंडा खरीद रहा है.
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वहीं पोल्ट्री फार्मर मनीष शर्मा ने बताया कि इस साल श्रीलंका ने भी भारत से अंडा खरीदा है. हालांकि, उसकी खरीद बहुत कम है, लेकिन अच्छी बात ये है कि आज खरीदने आया है तो कल फिर आएगा. श्रीलंका ने पहले सैंपल के तौर पर 23 लाख अंडों की खरीद की थी. उसके बाद बड़ी खरीद की थी.
पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने बताया कि ओमान भारत से अंडे खरीदने वालों के बीच बड़ा ग्राहक है. इसके अलावा इंडोनेशिया भी खूब अंडे खरीदता है. एपीडा के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं. इसी साल जनवरी में पोल्ट्री प्रोडक्ट की खरीद में ओमान की हिस्सेदारी 25.26 फीसदी, इंडोनेशिया की 9.78, मालदीव की 8.49, यूएई की 6.26 और भूटान की 5.59 फीसदी रही थी.
केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021-22 में देश में करीब 750 करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. इसमे से अकेले 65 फीसदी अंडों का उत्पादन सिर्फ पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में ही हुआ था. रिपोर्ट की मानें तो आंध्र प्रदेश में 20.41 फीसद अंडे, तमिलनाडु में 16.08, तेलंगाना में 12.86, पश्चिम बंगाल में 8.84 और कर्नाटक में 6.38 फीसद अंडों का उत्पादन हुआ. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो देश में 25 से 27 करोड़ मुर्गियां हैं, जो हर रोज 24 से 25 करोड़ अंडे देती हैं.
ब्रायलर चिकन मीट की बात करें तो इसमे भारत आठवें नंबर पर है. जबकि अमेरिका पहले नंबर पर आता है. रिकी थापर बताते हैं कि भारत से चिकन एक्सपोर्ट बहुत कम है. इसके पीछे की कई सारी वजहों में जो सबसे अहम है उसमे फीड के रेट हैं. ब्राजील और अर्जेंटीना में पोल्ट्री फीड के रेट भारत के मुकाबले करीब आधे हैं. इसीलिए हमारा चिकन महंगा पड़ता है. दूसरी अहम वजह ये है कि हमारे देश में चिकन प्रोसेसिंग प्लांट की बेहद कमी है. लेकिन डिमांड को देखते हुए पलांट की तैयारी चल रही है.
उम्मीद है कि तीन से चार साल में प्लांट लगने के बाद चिकन का एक्सपोर्ट भी खूब होने लगेगा. साल 2021-22 में देश में चिकन का 4.78 मिलियन टन उत्पादन हुआ था. ये देश के कुल मीट उत्पादन का 51.44 फीसदी है. चिकन का उत्पादन करीब सात फीसदी की दर से हर साल बढ़ रहा है. साल 2020-21 में 44.72 लाख टन और 2021-22 में 47.79 लाख टन चिकन मीट का प्रोडक्शन हुआ था.
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