इंडोनेशिया समेत कई देशों में प्याज के दाम आसमान पर हैं. ताे वहीं भारत में प्याज के गिरते दामों की वजह से किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है. किसानों को लगता है कि जब भारत में प्याज इतना सस्ता है तो फिर उसे एक्सपोर्ट क्यों नहीं किया जा रहा है. सरकार ने इसे लेकर अपनी स्थिति साफ की है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा है प्याज के निर्यात पर कोई रोक नहीं है. अप्रैल से दिसंबर 2022 तक 523.8 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य का प्याज निर्यात किया गया. दरअसल, इस समय प्याज के सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में प्याज की खेती करने वाले किसान बेहाल हैं. उन्हें एक से 5 रुपये के न्यूनतम दाम पर प्याज बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इसकी वजह से कई किसानों ने अपने प्याज के खेत में ट्रैक्टर चला दिया है. कुछ किसान सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की भी रणनीति बना रहे हैं. ऐसे समय मे प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर सरकार ने स्थिति क्लीयर कर दी है.
सरकार ने प्याज के निर्यात पर कोई रोक या प्रतिबंधित नहीं लगाया है. प्याज की मौजूदा निर्यात नीति 'मुक्त' व्यापार की है. केवल प्याज के बीज के निर्यात पर प्रतिबंध है और यह प्रतिबंध भी डीजीएफटी से प्राधिकार के तहत अनुमति प्राप्त है. डीजीएफटी की अधिसूचना संख्या 50 दिनांक 28.12.2020 के द्वारा कटे स्लाइस या पाउडर के रूप में तोड़े गए और बैंगलोर रोज प्याज तथा कृष्णापुरम प्याज की सभी किस्मों की निर्यात नीति को संशोधित किया गया है और कटे स्लाइस या पाउडर के रूप में तोड़े गए प्याज को ‘प्रतिबंध’ से ‘मुक्त’ कर दिया गया है.
मई 2022 में 31.9 मिलियन अमरीकी डॉलर.
जून 2022 में 36.0 मिलियन अमरीकी डॉलर
जुलाई 2022 में 50.1 मिलियन अमरीकी डॉलर
सितम्बर 2022 में 50.7 मिलियन अमरीकी डॉलर
अक्तूबर2022 में 40.8 मिलियन अमरीकी डॉलर
नवम्बर 2022 में 45.9 मिलियन अमरीकी डॉलर
दिसम्बर 2022 में 52.1मिलियन अमरीकी डॉलर
महाराष्ट्र में किसानों को प्याज़ का एक रुपये से लेकर 5 रुपये प्रति किलो पर मिल रहा है. ऐसे में किसानों का कहना हैं कि 18 से 20 रुपये प्रति किलो लागत आता है. इतना कम भाव मिलने पर हम अपनी लागत भी ठीक से नहीं निकाल पा रहे हैं. राज्य परेशान किसान अपनी प्याज़ कि फसलों को खुद नष्ट कर रहे हैं.राज्य में प्याज़ कि गिरती दामों को लेकर लगातार किसान आंदोलन कर रहे है. ऐसे में प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर सरकार ने स्थिति क्लीयर कर दी है.
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