scorecardresearch
ब्ल्यू रेव्युलेशन के तहत आंध्रा प्रदेश को मिला फिशिंग हार्बर, 1250 जहाजों को मिलेगी जगह

ब्ल्यू रेव्युलेशन के तहत आंध्रा प्रदेश को मिला फिशिंग हार्बर, 1250 जहाजों को मिलेगी जगह

आंध्र प्रदेश में भारत सरकार की प्रमुख योजना पीएमएमएसवाई के तहत पांच साल के लिए राज्य में 2300 करोड़ रूपये के निवेश की योजना तैयार की गई है. कुछ वक्ति पहले ही केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के दसवें चरण में आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों नेल्लोर, प्रकाशम, बापटला, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी, कोनसीमा, काकीनाडा, विशाखापत्तनम, विजयनगरम, श्रीकाकुलम का दौरा किया था.

advertisement
ओएनडीसी पर अब आनइालन मछली खरीदी और बेची जा सकेगी. ओएनडीसी पर अब आनइालन मछली खरीदी और बेची जा सकेगी.

फिश सेक्टर से जुड़ीं 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) और ब्ल्यू रेव्युलेशन स्कीम चलाई जा रही हैं. योजना का मकसद ये है कि समुंद्र में मछली पकड़ने वालों और मछली पालन करने वालों की मदद के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए. जिससे उनकी इनकम बढ़ सके. हाल ही में केन्द्र सरकार ने फिशरीज का हब कहे जाने वाले आंध्रा प्रदेश में कई बड़े काम शुरू किए हैं. केरल और तमिलनाडु के बाद समुंद्र से मछली पकड़ने के मामले में आंध्रा प्रदेश का तीसरा नंबर है. यहां दो बड़े बंदरगाह हैं. वहीं मछली पालन के मामले में आंध्रा प्रदेश का पहला नंबर है. 

यहां करीब 42 से 45 लाख टन सालाना का मछली पालन होता है. इसी को देखते हुए केन्द्र  सरकार ने इस राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए नेल्लोर (आंध्रा प्रदेश) में 288 करोड़ की लागत से जुव्वालाडिन फिशिंग हार्बर का निर्माण कराया गया है. ब्ल्यू रेव्युलेशन स्कीम के तहत इसका निर्माण हुआ है. इसके तैयार होने से आंध्रा प्रदेश को एक और बड़ा मछली बाजार मिल गया है.  

ये भी पढ़ें: Fish Cart: मछली खाने के शौकीनों को अब घर के दरवाजे पर ही मिलेगी फ्रेश मछली, जानें कैसे

ये सुविधाएं मिलेंगी जुव्वालाडेन फिशिंग हार्बर पर

केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो जुव्वालाडेन फिशिंग हार्बर का निर्माण सालाना 41 हजार मीट्रिक टन मछली के हिसाब से कराया गया है. यहां 1250 मछली पकड़ने वाले जहाजों को खड़ा किया जा सकेगा. इस पहल से 6100 स्थाकनीय मछुआरों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा. इतना ही नहीं मछली पकड़ने वाले जहाजों को और दूसरी सुविधाएं भी इस हार्बर पर मिलेंगी. गौरतलब रहे इससे पहले सरकार आंध्र प्रदेश के लिए 3009 करोड़ रुपये की लागत वाले 16 मछली पकड़ने के बंदरगाह और मछली लैंडिंग केंद्र को मंजूरी दे चुकी है. 

चार साल के तय वक्त में पूरा हुआ फिशिंग हार्बर 

हाल ही में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने वर्चुअल मोड के माध्यम से फिशिंग हार्बर का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. इसे राष्ट्रेहित में समुद्री क्षेत्र में सुधार के लिए महत्वपूर्ण परियोजना बताया जा रहा है. गौरतलब रहे मार्च 2020 में 288 करोड़ रुपये की कुल लागत पर जुव्वालाडेन में इस नए मछली पकड़ने के बंदरगाह के निर्माण के लिए आंध्र प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. भारत सरकार की सामूहिक पहल और राज्य सरकार के सहयोग से यह परियोजना चार साल की निर्धारित समय-सीमा में पूरी की गई है.

ये भी पढ़ें: Animal Food Security: वाइस चांसलर सम्मेलन में किसान-पशुपालकों के लिए 8 गारंटी पर हुई चर्चा, पढ़ें डिटेल 

जानें अभी तक आंध्रा प्रदेश को क्या-क्या मिला 

फिश एक्सपर्ट की मानें तो आंध्र प्रदेश में मछली पकड़ने और मछली पालन रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं. अगर हम इस राज्य पर नजर डालें तो यहां 974 किलोमीटर लंबी तटरेखा,  33 हजार किलोमीटर से ज्यादा महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्र, 555 समुद्री मछुआरों के गांव, दो मछली पकड़ने के बंदरगाह, 350 मछली लैंडिंग केंद्र हैं जहां समुंद्र में पकड़ी गई मछली उतारी जाती है. वहीं 31147 मछली पकड़ने के साधन और उपकरण, 65 कोल्ड स्टोरेज, 64 प्रोसेसिंग यूनिट, 235 आइस प्लांट, 28 फीड मिल, 357 हैचरी और 234 एक्वालैब के साथ और भी बहुत कुछ है. इसमे से ज्यादा काम केन्द्र सरकार की दो योजनाओं के चलते हुआ है.