Kerala: मक्के की खेती पर जोर, KFL दे रही उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी मदद

Kerala: मक्के की खेती पर जोर, KFL दे रही उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी मदद

केरल फीड्स लिमिटेड (केएफएल), केरल में मक्के की खेती पर जोर दे रही है. इसके लिए वह किसानों को उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है. साथ ही किसानों को भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान की मदद से ट्रेनिग भी मुहैया करा रही है.

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Kerala: मक्के की खेती पर जोर, KFL दे रही उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी मददकेरल में मक्के की खेती पर जोर, सांकेतिक तस्वीर

मौजूदा वक्त में देश में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक तरीके से खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें केंद्र व राज्य सरकार के अलावा, कई एनजीओ और निजी कंपनियां भी आगे बढ़कर किसानों की मदद कर रही हैं. इसी क्रम में कृषि पद्धतियों में एक बड़ी सफलता के रूप में, केरल फीड्स लिमिटेड (केएफएल) ने केरल राज्य में पांच टन मक्का के उत्पादन की सुविधा प्रदान की है. इसके तहत केएफएल ने किसान को उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी सहायता प्रदान की है. दरअसल, मोटा अनाज पशु चारा बनाने में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख घटक है. वहीं, त्रिशूर में केएफएल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से 18 किमी दूर स्थित एक खेत में इसकी खेती की गई थी.

भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) से अनुबंध 

मक्के की कीमतों में हालिया तेजी से वृद्धि ने केएफएल को स्थानीय किसानों को फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया है. वहीं, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में मक्के की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पीएसयू ने मक्का उत्पादक किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए दिल्ली स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR)  से अनुबंध किया है. वहीं अन्नामनदा के सीए राजन ने अपने साढ़े तीन एकड़ के खेत में मक्का की खेती शुरू की है. इससे पहले वो धान उसमें धान की खेती करते थे.

मक्का उगाने में कम मेहनत 

केएफएल ने किसान को ज्यादा उपज वाले बीज और तकनीकी सहायता प्रदान की है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, राजन ने कहा, "क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार था, इसलिए व्यावहारिक अड़चनें थीं. फिर भी, धान की खेती की तुलना में मक्का उगाने में कम मेहनत लगती है."

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मक्के का तना देता है अतिरिक्त आय

60 दिनों के भीतर मक्का में फूल आना शुरू हो जाता है. वहीं राजन ने फसल को काटा और अपने घर में सुखाया. उनकी पत्नी अंबिका और बच्चे अरुण और आशिक ने इसमें उनकी मदद की. उन्होंने कहा कि मक्के का तना मवेशियों के लिए अच्छा चारा है. "यह हमें अतिरिक्त आय देता है."

मक्के की खेती में बेहतर आमदनी

इरिंजलकुडा के पास पीएसयू में आने वाले पहले पांच टन मक्के का केएफएल के अध्यक्ष के. श्रीकुमार और शीर्ष सहयोगियों के अलावा कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया. श्रीकुमार ने कहा कि किसान मक्का उगाकर बेहतर आय अर्जित कर सकते हैं, जिसमें उच्च लागत भी नहीं लगता है. 

केएफएल को हर महीने 6,000 टन मक्के की जरूरत

उन्होंने आगे कहा, “केएफएल खुली परती भूमि में मक्का उत्पादन को सक्षम करने के उद्देश्य से विचार-विमर्श करेगा. इसे जिला पंचायतों के माध्यम से उनकी वार्षिक योजनाओं के तहत किया जा सकता है. केएफएल को हर महीने 6,000 टन मक्के की जरूरत होती है. “ऐसा नहीं है कि हम यह सब केरल में उगा सकते हैं. लेकिन इस दिशा में किए गए प्रयासों से केएफएल के उत्पादों की कीमतों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है." 

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केएफएल के प्रबंध निदेशक बी. श्रीकुमार ने कहा कि पीएसयू ने मक्का को स्वदेशी रूप से उगाने के तरीके खोजे, जब फसल की कीमत आसमान छू रही थी. उन्होंने कहा, “साल में दो धान की फसल लेने वाले किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. चूंकि उन्हें उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी सहायता दी जाएगी, पीएसयू को उम्मीद है कि अधिक किसान मक्का की खेती में प्रवेश करेंगे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि KFL की स्थापना 1995 में हुई थी जोकि गायों की विभिन्न नस्लों के लिए उत्पाद बनाती है.



 

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