यह कहानी राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रामेश्वर सुथार की है. सुथार ऐसे किसान हैं जिन्होंने हायर सेकंडरी की पढ़ाई करने के बाद पढ़ना छोड़ दिया. इसके बाद कई साल तक मोटर रिबाइंडिंग का काम किया. इसके बाद वे महाराष्ट्र के एक किसान के संपर्क में आए जिसके बाद उन्हें खेती करने का नया विचार आया. किसान रामेश्वर सुथार अब चार साल में अपनी छह बीघा जमीन में सब्जियों की खेती कर सारा खर्चा निकाल कर सालाना 10 से 12 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. किसान रामेश्वर सुथार कहते हैं कि पहले खेतों से मात्र एक लाख रुपये की इनकम होती थी. मगर आधुनिक तकनीक से सब्जी उत्पादन करने से अब यह उनकी आय का आंकड़ा 11 गुना बढ़कर 1100000 रुपये सालाना तक हो चुका है.
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रामपुरिया गांव के किसान रामेश्वर सुथार की खेती की कहानी बेहद दिलचस्प है. वे बताते हैं कि मोटर रिवाइंडिंग करते-करते उनका संपर्क महाराष्ट्र के सतारा जिले के प्रगतिशील किसान उमेश गाडे से हुआ. गाडे ऐसे किसान हैं जिन्होंने पांच साल के लिए अपने गांव के आसपास 65 बीघा जमीन लीज पर ली थी. इस जमीन पर गाडे ने स्ट्रॉबेरी की दो साल तक फसल लगाकर लाखों की कमाई की थी. बस यही से रामेश्वर सुथार के दिमाग में खयाल आया कि जब उनके पास खुद के 10-12 बीघा खेत हैं तो फिर वे क्यों नहीं खेती कर सकते हैं. उधर गाडे ऐसे किसान हैं जो 90 एकड़ जमीन 2031 तक लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं.
प्रगतिशील किसान रामेश्वर सुथार ने बताया कि 10-12 बीघा जमीन में से उन्होंने कुल छह बीघा में सब्जियों की तीन फसलों की खेती शुरू की है. अभी उनके खेत में शिमला मिर्च, टमाटर, पीले रंग की मिर्च और पिकाडोर मिर्च की फसल तैयार है. इस समय पिकाडोर मिर्च का भाव 10-12 रुपये प्रति किलो है. मगर सीजन में उन्होंने इसे 38 रुपये प्रति किलो में भी बेचा था. सुथार कहते हैं, अभी उन्होंने डेढ़ बीघा ज़मीन में शिमला मिर्च, दो बीघा में पीली मिर्च और एक बीघा में टमाटर की फसल लगा रखी है. कुछ खेत में गोभी की फसल लगाने के लिए उसे खाली छोड़ रखा है.
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रामेश्वर सुथार ने बताया कि वे साल में तीन फसल लेता हैं. गोभी की फसल बुआई से उत्पादन और कटाई तक 90 दिन में तैयार हो जाती है और फिर खेत खाली हो जाता है. टमाटर की फसल छह से सात महीने तक अच्छा उत्पादन देती है. पीली मिर्च भी छह से सात महीने तक अच्छा उत्पादन देती है. किसान रामेश्वर सुथार ने मजदूरों की दिक्कत को ध्यान में रखते हुए खुद से एक टमाटर ग्रेडिंग मशीन तैयार की है जिसमें टमाटर साइज के अनुसार अलग-अलग होकर ऑटोमेटिक कैरेट में पैक हो जाता है. इसमें लेबर आधी रह जाती है. किसान रामेश्वर सुथार ने अपनी इस टमाटर ग्रेडिंग मशीन को मध्य प्रदेश और पुणे में भी बेची है. इस मशीन की लंबाई 28 फीट है. अब सुथार एक स्प्रे मशीन बनाने में जुटे हुए हैं.
किसान रामेश्वर सुथार कहते हैं कि खेती में यदि कुदरत साथ दे, मौसम की प्रतिकूल मार ना हो और जानकारी पूरी हो तो नौकरी से डबल कमाई हो जाती है. जानकारी के अभाव में किसान खेती में असफल हो जाते हैं. रामेश्वर सुथार के पास सिंचाई के लिए ट्यूबवेल है और पानी की बचत के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम उपयोग में लेते हैं. सब्जियों की खेती के साथ-साथ कुछ हिस्से में वे गेहूं, जौ, सोयाबीन आदि फसलों का उत्पादन भी करते हैं. इनका फोकस कम समय में अधिक पैदावार देने वाली सब्जी की फसलों पर रहता है. उसी के अनुसार वे सब्जियों की किस्मों का चयन करते हैं.
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सब्जी उत्पादन से सुधार ने पहले नींबू के दो दर्जन पौधे लगाए थे और आठ साल में उनसे सालाना 10 लाख से 15 लाख की आमद होने लगी. इसके बाद सुथार का रुझान खेती की ओर बढ़ने लगा. खेती के साथ-साथ वे पशुपालन भी करते हैं. इनके पास तीन भैंस और दो गाय हैं जिससे प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है. वही पशु अपशिष्ट से कंपोस्ट खाद तैयार हो जाता है. इसके अतिरिक्त वे जैव काढ़ा तैयार करते हैं. वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाने की भी इन्होंने तैयारी कर रखी है.
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