60% से ज्यादा महिलाएं खेती में काम करती हैं लेकिन ज्यादा काम करने के बाद भी वो खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाती है. महिला किसानों को ना नाम मिलता, ना पहचान और ना ही ज्यादा सम्मान. वो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाती और खान-पान में भी पोषण नहीं पाती. लेकिन शायद जब एग्रीकल्चर फील्ड में पढ़ी लिखी महिलाएं आएंगी तो वो अपने काम के माध्यम से बाकी महिलाओं के लिए मिसाल बनेंगी, उन्हें पहचान और सम्मान दिलवाएंगी, तो Mahila Kisan Divas पर पढ़िए एक यंग महिला किसान वैश्वी सिन्हा भसीन के बारे में जो खेती किसानी में महिलाओं की चेहरा बदलने आयी हैं. एक IAS के परिवार में जन्म लिया, गोल्फ में देश का प्रतिनिधत्व किया, यूरोप गयीं, अमेरिका रहीं लेकिन आखिरकार खेती-किसानी से जुड़ने की चाह में भारत लौट आयी और यहां आकर महिला किसानों की एक नई तस्वीर दुनिया के सामने रख रही हैं..
वैश्वी सिन्हा भसीन अपने बिजनेस के माध्यम में महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मदद करती हैं. उनके बनाए प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती हैं ताकि उनको आर्थिक मदद मिल सके. महिला किसानों का सशक्तीकरण कैसे हो सकता है इस बारे में उन्होंने किसान तक से कहा कि महिलाओं के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है, साथ ही वो अपने हुनर को पहचानें और उस पर आगे काम करें.
बेहद एजुकेटेड परिवार में पैदा होने वाली वैश्वी सिन्हा के पिता IAS रहे हैं और उन्होंने बचपन से ही वैश्वी को स्पोर्ट्स में आगे रखा. वैश्वी ने स्कूल टाइम से ही गोल्फ खेलना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उनको लोग नाम से कम गोल्फर से ज्यादा बुलाने लगे. वैश्वी ने गोल्फ में देश का प्रतिनिधित्व किया, यूरोप गयीं, अमेरिका रहीं लेकिन गाय का प्रेम उनको वापस देश खींच लाया.
इंडिया वापस लौटने के बाद वो शुद्ध दूध और खाना खाना चाहती थीं. बस इसी जरूरत से शून्य डेयरी की शुरूआत हुई. वैश्वी सिन्हा भसीन ने जब देसी गाय की नस्ल सुधारने के लिए डेयरी शुरू की तो वो गायों के लिए उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गांवों में गईं, किसानों से मिली, जानकारी जुटाई और अच्छी नस्ल की देसी गायें अपनी डेयरी के लिए खरीदीं. आज उनकी डेयरी में 100 के करीब देसी गाय हैं जिनको वो और बढ़ाने का प्लान कर रही हैं.
गाय के साथ साथ वैश्वी जैविक खेती भी करती हैं. सदगुरू(Sadhguru) की फॉलो करने वाली वैश्वी के विचार हैं कि अगर खान-पान में कम मिलावट ना हो तो आपका मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं. वैश्वी गाय के गोबर से खाद बनाती हैं और वर्मी कंपोस्ट भी बनाती है. वैश्वी ने जिस खेत में डेयरी बनायी है वहां वो ऑर्गेनिक तरीके से फल और सब्जियां उगाती हैं.
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