राजस्थान में आम के पेड़ को लगाना तो दूर, यहां पर गर्मियों में पानी के लाले पड़ जाते हैं. यहां गर्मी के सीजन में इतनी भीषण गर्मी पड़ती हैं जिसकी कोई सीमा नहीं है. लेकिन आज हम आपको ऐसे शख़्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने आपने जिद से आम के पौधे थार के मरुस्थल में लगाए और अब उन पौधों पर फल आने शुरू हो गए हैं. कहते हैं जब इंसान कुछ करने की ठान बैठता है तो वह कर के की छोड़ता है. दरअसल, राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर विधानसभा क्षेत्र के किसान रामेश्वर सोनी ने ऐसी कल्पना की और आम के पेड़ अपने घर पर उगा लिए. रामेश्वर दो आम के पेड़ लगाए थे जिस पर से अब तक 40 से 50 आम तोड़ दिए गए हैं मौके पर 4-5 आम के फल लगे हुए भी हैं.
आपको बता दें कि भारत में सबसे सबसे अधिक आम उत्तर प्रदेश में होता है. वहीं भारत विश्व में सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है. भारत में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा आम उत्पादन आंध्र प्रदेश में किया जाता है. उसके बाद बिहार जहां पर 11.19% आम उत्पादन किया जाता है. वहीं राजस्थान में दक्षिणी राजस्थान में आम की खेती की जाती है. रेगिस्तान की बात करें तो यहां पर भीषण गर्मी और पानी की समस्या के चलते कुछ पौधे पनपते हैं. नागौर के खींवसर तहसील के रामेश्वर सोनी ने जो मॉडल अपनाया है वह आम की खेती के लिए मात्र एक ही साल में सक्सेस हो गया. ऐसे में अब आप यह कल्पना कर सकते हैं कि आम की खेती रेगिस्तान के किसान भी कर सकते हैं.
रामेश्वर लाल सोनी ने आम के केसर किस्म को लगाया था. आज दोनों पौधे सक्सेस हो गए हैं. रामेश्वर सोनी ने बताया कि वह खींवसर में प्रॉपर्टी डीलर का काम करते हैं. उन्हें अपने घर पर पेड़ पौधे लगाने का बड़ा शौक है. उन्होंने कई तरह के फलदार पेड़ भी घर पर लगा रखे हैं. शहतूत के पेड़, अंगूर की बेले, चंदन का पेड़, और आम के पेड़ फलदार पेड़ भी उन्होंने अपने घर पर लगा रखे हैं. जब भी जाते हैं बाहर घूमने के लिए तब बाहर से पौधा अपने साथ लेकर आते हैं. इस बार वह पुष्कर गए थे जहां से वह हर बार नर्सरी से पौधे लाते थे. वहां पर गए और उससे बोले कि अलग-अलग किस्म के फलदार पौधे चाहिए तो आम के पौधे (केसर) किस्म के पौधे जो कि गुजरात में ज्यादा होते हैं वह लेकर आए और घर पर लगाए.
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किसान रामेश्वर लाल सोनी ने बताया कि आम की पौधों को लगाने के लिए किसी भी रसायनिक खाद का उपयोग नहीं किया. उन्होंने देसी खाद का उपयोग किया. फाल लगने पर भी किसी भी रसायनिक खाद का उपयोग नहीं किया.
रामेश्वर लाल सोनी बताते हैं कि आम का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले 8 फिट गहरा गड्ढा खोदा, उसमें बालू रेत और बकरी की खाद (मिंगणी) का देसी खाद गली हुई. तालाब से लाई हुई काली मिट्टी इन सभी को मिलाकर गड्ढा को भर दिया. फिर पौधा लगाया. दीमक (उदाई) के लिए जड़ों में रेफरी नाम की दवाई हैं जो महीने में एक बार डालता था. सिलिकॉन नामक पाउडर का स्प्रे करता था. जिससे पौधे में हरापन और कोमल रहता है.
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रामेश्वर लाल सोनी बताते हैं कि खींवसर में वह अपने खेत पर बागवानी करने की सोच रहे थे. इससे पहले उन्होंने अपने घर पर ट्राई करना शुरू कर दी. फिलहाल, घर पर शहतूत के पेड़, अंगूर के बेल, लाल चंदन ऐसे कई अनेक पौधे लगाए हैं. आम के 2 पौधे खरीद लाए और ट्राई किए और एक्सेस हो गया.
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