हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने सूरजमुखी की फसल को भावान्तर भारपाई योजना में शामिल करने के खिलाफ जीटी रोड को जाम करने वालों को आड़े हाथों लिया है. 'किसान तक' से बातचीत में दलाल ने कहा कि मेरे घर के सामने लगा लेते धरना लेकिन जीटी रोड जाम करना मंजूर नहीं है. आप बताइए कि क्या किसी भी आदमी को अधिकार है जब चाहे तब रास्ता रोकने का? रास्ता रोकने के खिलाफ सरकार कोर्ट गई. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश दिखाया. उसके बाद एक घंटे का और इंतजार किया. इस पर भी जब आंदोलकारियों ने जीटी रोड खाली नहीं किया तब कुछ को गिरफ्तार करके पानी की बौछार से लोगों को वहां से हटाया गया. लाठी चार्ज नहीं किया गया था. जेपी दलाल ने कहा कि मैं खुद किसान हूं. किसान का बेटा हूं. लेकिन मैं हाइवे जाम करने को कभी भी सही नहीं बोलूंगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का परिवार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसान आंदोलन को हवा दे रहा है. वो थर्ड पर्सन के एजेंडे को हाईजैक करके लड़ाई लड़ना चाहते हैं. सीधे-सीधे तो उनकी कोई सुन नहीं रहा, इसलिए वो किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर काम कर रहे हैं. जब हुड्डा सीएम थे तब वो कितनी फसल एमएसपी पर खरीदते थे, यह उन्हें बताना चाहिए. हम तो कह रहे हैं सरकार 14 फसलें एमएसपी पर खरीद रही है. कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस शासित राज्यों में देखना चाहिए कि वहां पर सरसों, चना और बाजरा की कितनी खरीद हो रही है?
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राकेश टिकैत के बार-बार हरियाणा में आने पर दलाल ने कहा कि उनकी पश्चिम यूपी में तो लोग सुनते नहीं. इसलिए टिकैत अपनी राजनीति करने के लिए हरियाणा आ जाते हैं. उन्हें राजनीति करने के लिए यहां की जमीन काफी फर्टाइल लगती है, लेकिन मैं यहां के आम किसानों का धन्यवाद करना चाहूंगा कि वह उनकी बातों में नहीं आते. ये ऐसे लोग हैं जो पार्टी बनाकर चुनाव लड़ चुके है. जनता उन्हें चुनाव में नकार चुकी है. अब वह फिर किसानों के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं. भावांतर भरपाई योजना किसानों के हित के लिए है. इसे लेकर आम किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है जो ठीक नहीं है.
सूरजमुखी की एमएसपी पर खरीद को लेकर कुरुक्षेत्र से 6 जून को शुरू हुए किसान आंदोलन के बावजूद हरियाणा सरकार ने अब तक बातचीत की कोई पहल नहीं की है. जबकि किसान इसके लिए तैयार हैं. क्या सरकार का यह रवैया ठीक है? इस सवाल के जवाब में जेपी दलाल ने कहा कि इसके लिए किसान नेता खुद जिम्मेदार हैं. किसान नेताओं के साथ बैठक करके सरकार के प्रतिनिधियों ने पहले ही उन्हें पूरी स्थिति से अवगत करा दिया था. बता दिया गया था कि किसानों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. भावांतर में उन्हें पूरा पैसा मिलेगा. इसके बावजूद उन्होंने आंदोलन का रास्ता अपनाया. जो दिखाता है कि किसानों की आड़ में कुछ लोगों ने अड़ियल रवैया अपनाकर आंदोलन शुरू किया. सरकार पहले भी किसानों के साथ खड़ी थी, अभी भी खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी.
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