विदेशों में भारतीय चावल की मजबूत मांग की वजह से चालू वित्त वर्ष में भारतीय चावल निर्यात की शुरुआत अच्छी रही है. दरअसल, मजबूत मांग के कारण अप्रैल-मई में शिपमेंट यानी खेप की मात्रा लगभग 10 प्रतिशत बढ़कर 3.67 मिलियन टन से अधिक हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 3.36 मिलियन टन थी. इस अवधि के दौरान बासमती चावल का खेप एक साल पहले के 6.85 लाख टन के मुकाबले 21 प्रतिशत बढ़कर 8.30 लाख टन हो गया. इसी तरह, टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, गैर-बासमती चावल का खेप 2.67 मिलियन टन के मुकाबले 6 प्रतिशत बढ़कर 2.84 मिलियन टन हो गया.
वहीं, ईरान, इराक, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से मजबूत मांग के कारण बासमती चावल के प्रमुख बाजार पश्चिम एशिया में बासमती की खेप में एक साल पहले के 5.43 लाख टन के मुकाबले 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 6.15 लाख टन पर पहुंच गई. हालांकि, सऊदी अरब और यमन जैसे देशों में खेप में गिरावट दर्ज की गई है. वहीं पश्चिम एशिया में डॉलर के संदर्भ में निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 665 मिलियन डॉलर हो गया. जो एक साल पहले की अवधि में 545 मिलियन डॉलर था.
यूरोपीय संघ और एशियाई देशों जैसे अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में, इन दो महीनों के दौरान बासमती चावल का खेप दोगुने से अधिक हो गया. नीदरलैंड, जर्मनी, इटली और बेल्जियम से बासमती चावल की भारी मांग की वजह से यूरोपीय संघ को खेप की मात्रा 154 प्रतिशत बढ़कर 41,644 टन (16,407 टन) हो गई. वहीं अप्रैल-मई के दौरान यूरोपीय संघ को बासमती निर्यात मूल्य 196 प्रतिशत बढ़कर 52.61 मिलियन डॉलर (17.74 मिलियन डॉलर) हो गया. इसके अलावा, एशिया देशों में, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल जैसे देशों ने बासमती चावल की खरीद बढ़ा दी और मात्रा बढ़कर 15,339 टन (6,995 टन) हो गई.
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इसी तरह, गैर-बासमती चावल के मामले में, अप्रैल-मई के दौरान अफ्रीका को निर्यात 20.96 लाख टन (15.49 लाख टन) पर था, जबकि पश्चिम एशिया में निर्यात में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 2.20 लाख टन (1.77 लाख टन) पर पहुंच गया. द राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.वी. कृष्णा राव ने कहा, “कुछ प्रतिबंधों के बावजूद, अच्छी मांग है. खेप बढ़ रहा है.” मालूम हो कि भारत सरकार ने सितंबर 2022 से ही टुकड़ी चावल (ब्रोकन राइस) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन सरकारी स्तर पर इसके शिपमेंट की अनुमति है.
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