Explained:  क्या अब दूसरे देशों को चीनी नहीं बेचेगा भारत! जानें पूरी बात

Explained:  क्या अब दूसरे देशों को चीनी नहीं बेचेगा भारत! जानें पूरी बात

देश में मार्केटिंग सीजन 2022-2023 में 32.8 मिलियन टन चीनी उत्पादन होने की उम्मीद है, जो पहले के पूर्वानुमान से 3.5 प्रतिशत कम है. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्वीटनर के उत्पादन में गिरावट के बीच भारत सरकार द्वारा चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की संभावना है.

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Explained:  क्या अब दूसरे देशों को चीनी नहीं बेचेगा भारत! जानें पूरी बातभारत सरकार चीनी के निर्यात पर लगा सकती है बैन, सांकेतिक तस्वीर

स्वीटनर के उत्पादन में गिरावट के बीच भारत सरकार द्वारा चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की संभावना है. दरअसल, देश में मार्केटिंग सीजन 2022-2023 में 32.8 मिलियन टन चीनी उत्पादन होने की उम्मीद है, जो पहले के पूर्वानुमान से 3.5 प्रतिशत कम है. वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्पादन में इस गिरावट को देखते हुए और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले घरेलू स्तर पर चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी से बचने के लिए, केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है. 

ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि दूसरे देशों को भारत चीनी क्यों नहीं बेचेगा? केंद्र सरकार आखिर क्यों चीनी के निर्यात पर बैन लगा सकती है- 

चीनी निर्यात पर सरकार लगा सकती है बैन  

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही चीनी के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगाने की नोटिफिकेशन जारी कर सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सहित मंत्रियों के एक पैनल द्वारा 27 अप्रैल को बुलाई गई बैठक में इस मामले पर निर्णय लिया गया, जिसमें मिलों को "तत्काल प्रभाव" से चीनी निर्यात करने से रोकने की सिफारिश की गई थी.

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खबरों के मुताबिक, 275 लाख टन या 27.5 मिलियन टन की अनुमानित घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में पर्याप्त चीनी है. लेकिन सरकार इस साल दोनों राज्य विधानसभाओं और मार्च-अप्रैल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है.

अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति नहीं मिलने की संभावना

 वहीं इस महीने की शुरुआत में, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के हवाले से खबर दी थी कि बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित होने के कारण सरकार इस साल अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति नहीं दे सकती है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि हमारे पास 38.6 मिलियन टन (इथेनॉल के लिए डायवर्जन सहित) का चीनी उत्पादन लक्ष्य है. हो सकता है कि महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन 2-3 लाख टन कम हो जाए. उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादन में अपेक्षित गिरावट के कारण, "अतिरिक्त चीनी निर्यात कोटा की अनुमति दिए जाने की संभावना नहीं है."

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इस वर्ष इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 5 मिलियन टन चीनी स्थानांतरित की जाएगी, जो पिछले वर्ष के 3.6 मिलियन टन से लगभग डबल है.

40 लाख टन चीनी का हो चुका है निर्यात

व्यापार रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य मंत्रालय ने सितंबर 2023 को समाप्त होने वाले मार्केटिंग सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है. इसमें से 40 लाख टन चीनी का निर्यात पहले ही किया जा चुका है. बता दें कि भारत ज्यादातर चीनी का निर्यात इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मलेशिया, सूडान, सोमालिया और संयुक्त अरब अमीरात को करता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च माह में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश का चीनी निर्यात रिकॉर्ड 5,770.64 मिलियन डॉलर था, जबकि 2021-22 में यह 4,602.65 मिलियन डॉलर था.

चीनी उत्पादन में गिरावट

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) 30 सितंबर को समाप्त होने वाले चालू सीजन में 34 मिलियन टन चीनी उत्पादन की उम्मीद कर रहा था. हालांकि, पश्चिमी विक्षोभ के कारण महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से गन्ने की पैदावार में गिरावट आई है. इस्मा के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने रॉयटर्स को बताया कि “वर्षा अनियमित थी. गन्ने की फसल को विकास के चरण के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं मिली और जब इसकी आवश्यकता नहीं थी तो बहुत अधिक हुई."

गन्ने से चीनी और इथेनॉल बनाने का प्रोसेस

गन्ने से चीनी बनाने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं. इसमें सबसे पहले गन्ने को कुचला जाता है. इसके रस को निकालने के बाद गरम किया जाता है, फिर फिल्टर किया जाता है. अंतिम चरण में शेष सीरप की एक छोटी धारा का उत्पादन होता है जिसे केन मिल शीरा कहा जाता है जिसमें 55 प्रतिशत सुक्रोज और पर्याप्त मात्रा में इनवर्ट शुगर (ग्लूकोज/फ्रुक्टोज मिश्रण) अशुद्धियां होती हैं. सुक्रोज वह भाग होता है जो क्रिस्टलीकृत चीनी बन जाता है. 

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अगर बात इथेनॉल उत्पादन की करें तो इथेनॉल का औद्योगिक उत्पादन किण्वन (fermentation) विधि से किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले गन्ने के रस से चीनी के क्रिस्टल को अलग कर दिया जाता है. उसके बाद बचे पीले गाढे रंग के शीरे (molasses) में पानी मिलाकर इतना पतला किया जाता है कि उसका सांद्रण 8-10 प्रतिशत हो जाए. फिर इसमें अमोनियम सल्फेट और थोड़ी मात्रा में सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दिया जाता है. उसके बाद  25−30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में दो-तीन दिन के लिए रखा जाता है. यीस्ट जोकि एक प्रकार का कवक या फद (fungus) होता है, जिसमें एंजाइम, इन्वर्टेस, जाइमेज आदि होते हैं. इन्वर्टेस शीरा में उपस्थित सुक्रोज को ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में बदल देता है. फ्रुक्टोज और ग्लूकोज से जाइमेज की उपस्थिति में किण्वन की प्रक्रिया द्वारा इथेनॉल प्राप्त होता है. 

 

 

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