पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने व अन्य कारणों से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर नवंबर-दिसंबर में खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए कृषि विभाग ने पिछले पांच वर्षों के दौरान किए गए विभिन्न धान अवशेष प्रबंधन पहलों के मूल्यांकन और प्रभाव मूल्यांकन के लिए आईआईएम-रोहतक को शामिल किया है. वहीं वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से और फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनों की खरीदी पर किसानों को सब्सिडी देने के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की गई हैं.
फसलों की कटाई करने के बाद बचे अवशेष की पराली जलाने से सबसे अधिक वायु प्रदूषण का खतरा रहता है. इस समस्या से निपटने के लिए कटाई के पारंपरिक तरीके को बदल आधुनिक यंत्रों के उपयोग से कटाई करने की सलाह दी जा रही है. इन मशीनों की खरीदी पर सब्सिडी देने के लिए कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के पराली का इन सीटू प्रबंधन के लिए और कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने पर एक केंद्रीय योजना शुरू की है. इस योजना के तहत 2018-19 से 2022-23 की अवधि के दौरान 3138 करोड़ रुपए जारी किया गया है.
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इस अवधि के दौरान इन राज्यों ने कृषि यंत्रों के 38000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए हैं साथ ही 4 राज्यों के किसानों को 2.42 लाख से अधिक मशीनों की आपूर्ति की गई है.
देश में पराली की समस्या का आंकलन करने के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग ने भारतीय प्रबंधन संस्थान रोहतक (आईआईएम-रोहतक) को नियुक्त किया है. इन राज्यों में इन सीटू और एक्स सीटू प्रबंधन के लिए अलग-अलग उपलब्ध मशीनरी का जिला वार मानचित्रण जिसमें अलग-अलग संस्थाओं जैसे- व्यक्तिगत किसानों, सोसायटी और धान के पराली प्रबंधन के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर और विश्लेषण के साथ कृषि मशीनरियों का आंकलन शामिल है.
इस विस्तृत परामर्श और विश्लेषण के माध्यम से जो निष्कर्ष सामने आएंगे, वे फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे और गतिविधियों को और अधिक विस्तारित करने और मजबूत करने में सहायक होंगे, ताकि योजना को अधिक ज्ञान, बेहतर तरीके से लागू करने के लिए सहायक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा सके.
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