अगर सरकार किसानों की आवाज नहीं सुनती है तो हमारे पास सड़क पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यह बात सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी कि NCP प्रमुख शरद पवार ने कही. उन्होंने नासिक जिले के चांदवड में प्याज किसानों से मुलाकात की और प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के विरोध में रैली निकाली. शरद पवार ने चंदवाड़ में 'रास्ता रोको' में हिस्सा लिया और बाद में पास के राजमार्ग पर एक रैली को संबोधित किया.
नासिक उन प्रमुख जिलों में से एक है जहां बड़ी मात्रा में प्याज का उत्पादन होता है. भारत के कुल उत्पादन की तुलना में प्याज का 37 प्रतिशत से अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है और उसका 10 प्रतिशत नासिक जिला पैदा करता है.
किसान प्याज का उत्पादन कर पैसा कमाने की जुगत में रहते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र सरकार के नीति निर्धारक आपकी मेहनत का सम्मान नहीं कर रहे हैं. शरद पवार ने कहा, कई व्यापारियों ने विदेशों में निर्यात करने के लिए प्याज खरीदा है लेकिन अब वे भी संकट में हैं. अब वह समय आ गया है जब किसानों को प्याज बेचकर कुछ पैसे मिलेंगे, लेकिन केंद्र सरकार की नीति के कारण खेती का पूरा अर्थशास्त्र संकट में है, ऐसा पवार ने आरोप लगाया. चांदवड में रैली में शामिल होने के लिए हजारों प्याज किसान और व्यापारी वहां मौजूद थे. और ये बात सिर्फ प्याज किसानों की नहीं है, बल्कि सरकार की दोषपूर्ण नीति के कारण गन्ना उद्योग भी चौपट होने के कगार पर है.
केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग से इथेनॉल का उत्पादन न करने को कहा है. चीनी और उपोत्पाद इथेनॉल के कारण किसानों को उनके गन्ने का उचित मूल्य मिल रहा था, लेकिन इथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध लगाना सरकार द्वारा उठाया गया एक विनाशकारी कदम है, शरद पवार ने अपनी आलोचना में कहा.
सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं तो दूसरी ओर प्रकृति भी उनके जीवन को और चुनौतीपूर्ण बना रही है. जैसा कि हम जानते हैं कि 2 सप्ताह से पहले बेमौसम बारिश महाराष्ट्र को बुरी तरह प्रभावित करती है. अंगूर और अन्य कृषि उत्पादन का नुकसान इतना बड़ा है कि सरकार को इसके लिए आगे आना चाहिए. पवार ने कहा, राज्य सरकार ने किसानों से कहा कि वे इस दौरान किसानों की मदद करेंगे. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. न कोई सर्वेक्षण, न किसानों तक कोई मदद पहुंची. बीमा कंपनियां भी किसानों को उनका बकाया दिलाने में मदद नहीं कर रही हैं.
अंगूर की अर्थव्यवस्था भी संकट में है क्योंकि बांग्लादेश जैसा देश प्रति किलोग्राम 160 रुपये का शुल्क लगा रहा है. और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है. इसलिए एक तरफ खराब पर्यावरण के कारण किसान गहरे संकट में हैं और दूसरी तरफ सरकार की नीतियां पूरी तरह से गलत हैं, पवार ने कहा.
एनसीपी नेता पवार ने कहा, हमारे विरोध की घोषणा के बाद अब सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दिल्ली में कुछ बैठकें कर रही है, अगर यह तार्किक अंत तक पहुंचता है, तो यह किसानों के लिए अच्छा होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार देश भर के किसानों को लेकर संवेदनशील है.
'इंडिया टुडे' ने बाजार से हालात का जायजा लिया तो पता चला कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगने से पहले किसानों को प्रति क्विंटल लगभग 4500 रुपये मिल रहे थे, लेकिन निर्यात प्रतिबंध के बाद किसानों को महज 2400 प्रति क्विंटल के रूप में आधी कीमत मिल रही है. (अभिजीत करांदे की रिपोर्ट)
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