बीते कई साल से एक ऐसा गैंग सक्रिय है जो किसानों को निशाना बनाता है. किसानों को ठगता है और वारदात को अंजाम देता है. इस गैंग का ठगी करने का तरीका भी ऐसा है कि किसान हंसते-हंसते इनके जाल में फंस जाते हैं. वारदात के दौरान किसी को भी इन पर शक नहीं होता है. तरीका भी ऐसा कि ना चाहते हुए भी किसान अपनी उपज इनके हाथों में बेचने को तैयार हो जाते हैं. यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में ये गैंग ज्यादा सक्रिय रहता है. पुलिस के जाल में भी ये कम ही फंसते हैं. एक या दो फीसद केस में ही इनकी गिरफ्तारी हो पाती है.
किसानों की उपज को कम तौलकर ठगने के साथ ही फर्जी चेक और ड्राफ्ट देकर भी ये गैंग वारदात को अंजाम देता है. घटतोली के चलते इस गैंग का नाम घाटिया पड़ा है. गैंग के सदस्य बिजनौर, यूपी के करीब आधा दर्जन गांवों के रहने वाले बताए जाते हैं.
कुछ पुलिस अफसरों की मानें तों गैंग में तीन से चार मुख्य लोग होते हैं. बाकी के छह-आठ लोग माल तौलना, ढुलाई करना और गाड़ी चलाने का काम करते हैं. गैंग एक छोटी गाड़ी जैसे कार-जीप लेकर चलता है और माल की ढुलाई के लिए साथ में एक कैंटर भी होता है. जिस शहर से सटे गांवों में इन्हें वारदात करनी होती है तो गैंग शहर के बार्डर पर जाकर किसी धर्मशाला या छोटे-मोटे गेस्ट हाउस में डेरा डालता है.
भी पढ़ें- Farmer Alert: पुलिस बोली, इस गांव में जा रहे हैं तो हमे बताकर जाएं, जानें वजह
गैंग के तीनों मुख्य सदस्य जीप या कार से गांवों में जाकर किसानों से उपज बेचने की बात करते हैं. जिसके पास भी उपज होती है उससे उपज का सौदा कर अगले दिन आने की बात कहते हैं. और इस तरह से गैंग के मुख्य सदस्य या सरगना गांव-गांव घूमकर शिकार की तलाश कर उसे फंसाने का काम करते हैं.
यूपी पुलिस के एक इंसपेक्टर ने बताया कि जब गैंग गांव में उपज का सौदा करने जाता है तो वो किसान को उसकी उपज का भाव बाजार रेट से थोड़ा ज्यादा ही देता है. जिसके चलते किसान लालच में आ जाता है. सौदा करने के बाद जब अगले दिन ये उपज खरीदने जाते हैं तो अपनी लेबर, अपनी तराजू और अपनी गाड़ी लेकर जाते हैं.
किसान की उपज को ये बोरियों में ना तौलकर खुली तौलते हैं. इसी तौल के दौरान 110 किलो वजन को ये 100 किलो तौलते हैं. कहीं-कहीं तो 115 और 120 किलो वजन को सौ किलो तौल देते हैं. इस तरह किसान को ठग कर गैंग वहां से निकल लेता है. इस दौरान किसान को जरा भी आभास नहीं होता है कि उसकी उपज कम तौलकर खरीदी गई है.
भी पढ़ें- विदेशों से हर साल आती है 45 हजार टन दालचीनी, अब अपने देश में यहां हो रहा उत्पादन
जानकारों की मानें तो एक-दो दिन गैंग के सदस्य एक ही इलाके में तीन-चार किसानों से खरीदारी करते हैं. उसके बाद जब उसी इलाके में किसी किसान से उपज का सौदा कर रहे होते हैं तो ज्यादा उपज खरीदने में मजबूरी जता देते हैं. कहते हैं हम कई दिन से इस शहर में माल खरीद रहे हैं. अब हमारे पास नकद पैसा कम बचा है. अगर आप चाहो तो हम आपको चेक या ड्राफ्ट दे सकते हैं. दो दिन पहले तक ऊंचे रेट पर उपज की खरीदारी देखकर किसान इनके लालच में आ जाते हैं. यहां पर ये बड़ा दांव खेलकर फर्जी चेक और ड्राफ्ट से उपज खरीदकर उसे मंडी में अपने ही आदमी को बेच देते हैं और नकदी लेकर फरार हो जाते हैं.
घाटिया गैंग जिस शहर में भी किसानों से कम तौल पर उपज खरीदता है उसे उसी शहर की मंडी में बेच देता है. पुलिस अफसरों की मानें तो मंडी में इनसे उपज खरीदने वाला भी इनके भरोसे का ही होता है. उस आढ़तियां को इनके बारे में सब पता होता है. इस आढ़तियां के अलावा इसी शहर में इनका एक आदमी या कह लें कि दलाल ऐसा भी होता है जो गैंग का पुलिस चक्कर पड़ने पर मामले को निपट वाने की कोशिश करता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today