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Fisheries: तीन देशों की तर्ज पर भारत में लागू होगी मछुआरा बीमा योजना, मंत्री ने की ये अपील 

Fisheries: तीन देशों की तर्ज पर भारत में लागू होगी मछुआरा बीमा योजना, मंत्री ने की ये अपील 

मौजूदा वक्त में 29 राज्यों के 34.15 लाख मछुआरों का जीएआईएस के तहत बीमा किया जा चुका है. इसकी प्रीमियम रकम 32.16 करोड़ रुपये है. मछुआरों के 631 दावों का निपटारा किया जा चुका है. राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) को जीएआईएस की नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसके प्रबंधन और निगरानी के लिए एनएफडीबी, हैदराबाद में एक बीमा सेल की स्थापना की गई है.

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बीमा के चेक वितरित करते केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला. फोटो क्रेडिट-पीआईबी  बीमा के चेक वितरित करते केन्द्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला. फोटो क्रेडिट-पीआईबी

मछली पालन और मछली पकड़ने के जोखिम को कम करने के लिए फिशरीज सेक्टर में कई तरह की बीमा योजनाएं लागू की जा रही हैं. कुछ पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही हैं. मछुआरों के लिए शुरू हुई समूह दुर्घटना बीमा योजना (जीएआईएस) बीते तीन साल से चल रही है. बुधवार को नई दिल्लीं में एक कार्यक्रम के दौरान मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने लाभार्थियों को चेक वितरित किए. साथ ही बीमा कंपनियों से मछुआरों के लिए और अच्छी बीमा योजनाएं लाने की अपील की. वहीं देशभर के सभी मछुआरों से अपील करते हुए कहा कि जितने ज्याछदा से ज्यालदा लोग बीमा कराने के लिए आगे आएंगे तभी बीमा कंपनी भी अच्छीि योजनाएं लाएंगी. 

वहीं मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि तीन देशों में इस तरह की योजनाएं बहुत अच्छी तरह और कामयाबी के साथ चल रही हैं. हम उनकी स्टाडी कर रहे हैं. मछुआरों के लिए हम बेहतर से बेहतर बीमा योजना लाने की कोशिश में लगे हुए हैं. साथ ही उन्हों ने बीमा कंपनियों से अपने यहां फिशरीज के एक्सपर्ट रखने की बात भी कही. 

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मछुआरों की बोट के लिए अच्छी बीमा योजनाएं लाने की अपील 

पूसा में हुए कार्यक्रम के दौरान परषोत्तम रूपाला ने समुंद्र में मछली पकड़ने वालीं छोटी-बड़ी बोट का जिक्र करते हुए बीमा कंपनियों से कहा कि आज मछुआरों की बोट के लिए अच्छी बीमा योजनाएं लाने की जरूरत है. साथ ही ये भी तय कर लिया जाए कि सभी बोट का बीमा हो रहा है. मछली और झींगा बीमा पर बोलते हुए उन्हों ने कहा कि इसके लिए बीमा योजनाएं बनाते वक्तक खासतौर पर क्लाइमेट चेंज के मुद्दों को ध्यान में रखना होगा. इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद और कुछ लाभार्थियों से उन्होंने आनलाइन बातचीत की. 

बीमा से जुड़े इन प्रमुख मुद्दों पर भी हुई चर्चा

मत्स्य पालन में बीमा के माध्यम से जोखिम को न्यूनतम करना.
भारत में जलीय कृषि और वेसल्स (बोट) बीमा की कमियां, चुनौतियां और संभावनाएं.
विभिन्न बीमा उत्पाद और उनकी विशेषताएं जिन्हें मत्स्य पालन क्षेत्र में लागू किया जा सकता है.
मत्स्य पालन के लिए फसल बीमा में क्षतिपूर्ति आधारित बीमा अवसर.
मत्स्य पालन क्षेत्र में माइक्रो बीमा की भूमिका.
न्यूनतम परेशानी में त्वरित दावा निपटान प्रक्रिया.

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बीमा योजना सफल बनाने को होंगे ये खास काम 

सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि विभाग जापान और फिलीपींस जैसे अन्य देशों में मछुआरों के लिए सफल बीमा मॉडल की स्टडी कर रहा है. उनके अनुभवों को स्थानीय हालात के मुताबिक लागू किया जाएगा. सरकार कंपनियों से वेसल्स (बोट) बीमा योजनाओं को बढ़ावा दे रही है. ऐसी योजनाओं के लिए सामान्य मापदंडों पर काम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. मछुआरा समुदाय के साथ विश्वास की कमी को दूर करने के लिए फसल बीमा के तहत योजनाओं की समीक्षा की जा रही है.

कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य पालन बीमा से संबंधित सभी बातचीत को बढ़ावा देना, सहयोगी पहल, सर्वोत्तम प्रथाओं और इनोवेशन्स को प्रोत्साहित करना, अनुसंधान और विकास में लक्ष्य निर्धारित करना, किसानों तथा मछुआरों को प्रभावशाली अनुभवों एवं सफलता की कहानियों के माध्यम से बीमा कवरेज अपनाने के लिए प्रेरित करना, जागरूकता बढ़ाकर मत्स्य समुदाय के बीच एक्वाकल्चर बीमा अपनाने को बढ़ावा देना है.