8 दिन आंदोलन, 33 घंटे जीटी रोड जाम, अब बनी सरकार और किसानों के बीच बात

8 दिन आंदोलन, 33 घंटे जीटी रोड जाम, अब बनी सरकार और किसानों के बीच बात

हरियाणा में सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने के खिलाफ शुरू हुई लड़ाई आज समाप्त हो गई है. ऐसा आठ सदस्यों की कमेटी के साथ मीटिंग में लिए गए फैसले के बाद हुआ है. अब किसान धरना प्रदर्शन स्थल से अपने घर को लौट जाएंगे

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8 दिन आंदोलन, 33 घंटे जीटी रोड जाम, अब बनी सरकार और किसानों के बीच बातहरियाणा में किसानों और राज्य सरकार में हुआ समझौता

हरियाणा में सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने के खिलाफ शुरू हुई लड़ाई एमएसपी की मांग पर आकर टिक गई थी. इसके मद्देनजर सोमवार को किसानों ने कुरुक्षेत्र की पीपली अनाज मंडी में 'एमएसपी दिलाओ किसान बचाओ'  रैली का आयोजन भी किया. वहीं, प्रशासन से वार्ता बेनतीजा होने पर किसानों ने सोमवार दोपहर से ही जीटी रोड को जाम कर दिया और वही पर डेरा डाल दिया. जोकि अभीतक डेरा डाले हुए थे. लेकिन इस समय एक बड़ी खबर आ रही है. दरअसल किसानों और प्रशासन ने बीच का रास्ता अपनाया है. जिसके बाद किसानों और राज्य सरकार में समझौता हो गया है. वहीं किसान अब अपना धरना उठाएंगे.

आठ सदस्यों की कमेटी के साथ मीटिंग में लिया गया फैसला 

किसानों के मांग के आगे झुक कर राज्य सरकार ने किसानों की सभी बाते मानी ली है. अब सूबे में 5000 हजार रुपये सूरजमुखी में बिकेगी. इसके अलावा 1400 रुपये राज्य सरकार किसानों को भावान्तर योजना के तहत देगी. गौरतलब है कि किसानों की आठ सदस्यों की कमेटी के साथ मीटिंग में फ़ैसला होने के बाद डीसी और एसपी किसानों के बीच पहुंचे थे. वहीं, किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी सहित दूसरे नेताओं को कल रिहा कर दिया जाएगा. मालूम हो कि जीटी रोड जाम करने के करीब 33 घंटे बाद दोनों पक्षों में बीच का रास्ता निकाल कर के ये सहमति बनी है.

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क्यों शुरू हुआ सूरजमुखी आंदोलन?

30 मई 2023 को सूरजमुखी को भी भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने पर किसानों ने सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करना शुरू कर दिया था. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने इस योजना से सूरजमुखी को निकालने  की मांग की. किसानों ने कहा कि उन्हें एमएसपी चाहिए, भावांतर नहीं. छह दिन बाद भी सरकार ने उस आदेश में कोई संशोधन नहीं किया. इसलिए गुस्साए किसानों ने 6 जून को कुरुक्षेत्र में जीटी रोड को जाम कर दिया. 

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दरअसल, किसानों का आरोप है कि सूरजमुखी को भावांतर योजना में शामिल करके सरकार इसकी एमएसपी पर खरीद करने से बचना चाहती है. हरियाणा में सूरजमुखी का बाजार भाव 4000 से 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक है. जबकि इसका एमएसपी 6400 रुपये है. ऐसे में भावांतर योजना के तहत 1000 रुपये प्रति क्विंटल की मदद के बावजूद किसानों को 1200-1400 रुपये प्रति क्विं‍टल का घाटा साफ-साफ दिखाई दे रहा था. 
 

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