इंडियन शुगर मिल्स एसोशिएशन (ISMA) ने दावा किया है कि निर्यात, इथेनॉल डायवर्जन और घरेलू मांग को पूरा करने के बाद चालू सीजन के आखिरी में चीनी का सरप्लस स्टॉक 5.4 मिलियन टन रहने की संभावना है. चीनी की घरेलू उपलब्धता मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त होगी. ISMA अनुकूल मौसम की स्थिति और गन्ने की अच्छी बुवाई के चलते सीजन 2025-26 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) को लेकर सकारात्मक है.
इस्मा ने बयान जारी कर कहा कि 2024 में मॉनसून में अच्छी बारिश के चलते गन्ने की बुवाई को बढ़ावा मिला है, यह खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में देखने को मिला है. ऐसे में अब अक्टूबर 2025 में पेराई सत्र की समय पर शुरुआत होने के लिए मंच तैयार हो गया है.
ISMA के मुताबिक, महाराष्ट्र में 12 लाख हेक्टेयर सामान्य क्षेत्र की तुलना में जनवरी के आखिरी तक लगभग 7 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी थी, पिछले साल इसी अवधि में करीब 6 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, जो एक लाख हेक्टेयर की बढ़त को दर्शाता है. हालांकि, कर्नाटक में पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 2,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी ही देखी गई है.
उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों में, गन्ने की किस्मों को बदलने के प्रयास पहले से ही आशाजनक परिणाम दिखा रहे हैं. इससे पैदावार और रिकवरी दरों में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे अगले सीजन में मजबूत चीनी उत्पादन में योगदान मिलेगा.
ISMA के अनुसार, 15 मार्च, 2025 तक भारत ने लगभग 238 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है. वहीं, वर्तमान में लगभग 38 प्रतिशत के करीब मिलें यानी करीब 200 चीनी मिलें अभी भी पेराई का काम कर रही हैं और उत्तर प्रदेश में लगभग 75 प्रतिशत मिलों में काम चल रहा है. ऐसे में और बेहतर गन्ना रिकवरी के कारण पेराई सत्र अप्रैल तक बढ़ सकता है.
इस बीच, हालांकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की कम पैदावार हुई, लेकिन जून/जुलाई 2025 में एक विशेष सत्र के दौरान कर्नाटक की चुनिंदा मिलों में पेराई फिर से शुरू होने की संभावना है. तमिलनाडु की मिलें भी इस अवधि के दौरान काम करने के लिए तैयार हैं, जो चीनी उत्पादन में योगदान देंगी.
12 मार्च, 2025 को ISMA की कार्यकारी समिति द्वारा गहन समीक्षा के बाद, इथेनॉल उत्पादन के लिए 35 लाख टन को डायवर्ट करने के बाद शुद्ध चीनी उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 264 लाख टन कर दिया गया. कुछ क्षेत्रों में कम उत्पादन के बावजूद, एसोसिएशन ने आश्वासन दिया है कि चीनी की उपलब्धता घरेलू मांग को आसानी से पूरा करेगी.
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