डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने गुरुवार को नेपाल के चितवन स्थित कृषि और वानिकी विश्वविद्यालय में तीसरे दीक्षांत को संबोधित किया. दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने की, जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं. अपने दीक्षांत भाषण में प्रो. चंदेल ने सहयोग बढ़ाने और एक-दूसरे से सीख कर क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने भारत और नेपाल की सदियों पुरानी समान संस्कृति और परंपराओं को याद किया और कहा की दोनों राष्ट्र कई मोर्चों पर एक समान हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल में विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्र है और इस प्रकार यहां विभिन्न फसलें उगाई जा सकती हैं.
एग्रोइकोलॉजी के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर चंदेल ने हिमाचल प्रदेश का उदाहरण साझा किया और बताया कि कैसे इस राज्य ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है. उन्होंने स्नातकों से छोटे भूमिधारकों के लिए प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण के लिए काम करने को कहा क्योंकि वे ही दुनिया का भरण-पोषण कर रहे थे.
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उन्होंने छात्रों को किसान की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज के मूल्यवर्धन पर काम करने की भी सलाह दी और मिलेट्स के महत्व और उसके गुणकारी लाभों पर भी बात की. प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि भारत और नेपाल जैसे देश भी समृद्ध हिमालयी विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसे बढ़ावा देने और संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए. दीक्षांत समारोह के दौरान कृषि, वानिकी और पशु विज्ञान, पशु चिकित्सा, मात्स्यिकी संकायों के 1,000 से अधिक ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट के विद्यार्थियों ने अपनी डिग्री प्राप्त की.
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