केन्द्र सरकार लगातार इस कोशिश में है कि किसानों और पशुपालकों की इनकम को बढ़ाया जाए. इसके लिए सहकारी समितियों की मदद भी ली जा रही है. इसके लिए सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह लगातार अफसरों और सहकारी समितियों से जुड़े लोगों से बात कर रहे हैं. ऐसा ही एक सुझाव देते हुए उन्होंने कहा है कि जब तक हम सहकारी समितियों के उत्पादन को किसी ब्रांड से नहीं जोड़ेंगे तब तक उसे पहचान नहीं मिलेगी. बिना ब्रांड के विश्व बाजार में उसकी सही कीमत नहीं मिल पाएगी. इस मामले में उन्होंने नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) का उदाहरण दिया.
उनका कहना था कि एनडीडीबी ने पड़ोसी देशों और अफ्रीकी देशों में डेयरी को मजबूत करने का काम किया है. डेयरी सेक्टर के बारे में उन्होंने ये भी कहा कि सहकारी समिति के डेयरी प्रोडक्ट को ब्रांड के साथ जोड़ने से पशुपालकों की आय बढ़ेगी. इसके लिए ये भी जरूरी है कि भारत को गुणवत्ता वाले दूध और दूध उत्पादों के निर्यात के माध्यम से "विश्व की डेयरी" बनने की जरूरत है.
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भारतीय डेयरी सेक्टर के बारे में अमित शाह ने बहु-वस्तु (मल्टी-कमोडिटी) और सहकारी समितियों की जरूरत पर जोर दिया. उनका कहना है कि सहकारी समितियों के उत्पादन के निर्यात के लिए एक ब्रांड होना चाहिए, जैविक उत्पाद को बढ़ावा देना चाहिए, सहकारी समितियों के बीच सहयोग से दुग्ध प्रोसेसिंग सुविधाओं का बेहतर उपयोग होना चाहिए, डेयरी मशीनरी के निर्माण में आत्मनिर्भरता लानी होगी.
इतना ही नहीं एनडीडीबी की सहायक कंपनी आईडीएमसी लिमिटेड के माध्यम से स्वदेशी डेयरी उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए. इसके लिए एनडीडीबी की सहायक कंपनियों को इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपना खास रोल अदा करना होगा.
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एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह का कहना है कि एनडीडीबी अपनी नीति “किसान सर्वप्रथम” को ध्यान में रखते हुए ही अपनी सभी योजनाओं में सहकारिता की रणनीति को शामिल करती है. किसानो द्वारा पशुपालन की वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर एनडीडीबी को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. एनडीडीबी से जुड़ी दूसरी संस्थाओं ने भी डेयरी सहकारिताओं को मजबूत कर करोड़ो किसानों के लिए आय का रास्ता खोलते हुए एनडीडीबी के उद्देश्यों को आगे बढ़ाया है.
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