बिहार में सुपौल जिले के ठूठी पंचायत में कोसी ईस्ट मेन कैनाल का एसएलआर ब्रिज और एस्केप रेगुलेटर ध्वस्त हो गया है. इससे लगभग छह जिलों की सिंचाई परियोजना बाधित हो गई है. इस घटना के बाद पटना से जल संसाधन विभाग के इंजीनियर-इन चीफ कैनाल का मुआयना करने पहुंचे हैं. इसके साथ ही जल संसाधन विभाग के कई इंजीनियर मौके पर कैंप कर रहे हैं. जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ ने मीडिया से बताया कि कोसी मुख्य कैनाल के टूटे पुल और एस्केप रेगुलेटर की मरम्मत का काम चल रहा है. निर्माण काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा. इसके लिए डायवर्जन बनाकर ट्रैफिक को सही किया जा रहा है. डायवर्जन बनाकर किसानों के लिए पानी भी बहाल कर दिया जाएगा.
पुल और रेगुलेटर टूटने की घटना रविवार शाम की है जिसके बाद पूरे इलाके में लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई. सुपौल के छातापुर में 76 RD का गेट रेगुलेटर फाटक सहित पानी के तेज बहाव में टूट कर बह गया जिससे सुपौल से अररिया का सड़क संपर्क भंग हो गया. इस मुख्य कैनाल के बंद होने से सुपौल अररिया, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा आदि जिले में सिंचाई व्यवस्था बाधित हो गई है.
यह मेन कैनाल सुपौल और अररिया जिले को जोड़ता है जिसके टूटने से आसपास के कई गांवों में सिंचाई का काम बाधित हो गया है. इसकी मरम्मत का काम तेज है और जल्द ही इसे दुरुस्त कर लिए जाने की संभावना है. इंजीनियरों की टीम डायवर्जन निर्माण कर यातायात बहाल करने में जुटी है ताकि लोगों को लंबी दूरी न तय करनी पड़े. साथ ही गेहूं के सीजन में खेतों को पानी मिल सके, इसके लिए डायवर्जन का सहारा लिया जा रहा है.
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कैनाल के आसपास के लोगों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी की वजह से पुल टूट गया. अगर पुल की सही-सही निगरानी होती तो ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिलती. लोगों की शिकायत है कि लाखों रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण किया गया था ताकि यातायात की सुविधा मिले और खेतों को पानी मुहैया कराया जा सके. पुल टूटने से कई गांवों में फसलों का नुकसान देखा जा रहा है. इस पुल का निर्माण 1962 में कराया गया था, तब से मरम्मत की कमी और पानी के अधिक दबाव के चलते यह टूट गया.
पुल टूटने से फारबिसगंज, जोगबनी, बथनाहा समेत अन्य जगहों पर जाने के लिए यातायात बाधित हो गया है. वही कोसी मुख्य कैनाल के बंद हो जाने से कोसी सीमांचल के आधा दर्जन जिलों में सिंचाई परियोजना ठप हो गई है. जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता ने बताया कि दिन रात काम करके जल्द यातायात और सिंचाई परियोजना बहाल करने की कोशिश की जा रही है. समस्या केवल सिंचाई की ही नहीं है बल्कि लोगों को अब लंबी दूरी तय करके अपने गांव या मुख्य जगहों पर जाना होगा.
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अभी गेहूं का समय है और इस बीच पुल टूट जाने से कई गांवों में सिंचाई का पानी नहीं मिल पाएगा. लगभग आधा दर्जन जिले के किसान प्रभावित हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि डायवर्जन का काम पूरा हो जाने से लोगों का आवागमन शुरू हो जाएगा खेतों में सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था भी बहाल कर दी जाएगी.
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