कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 15 मार्च, 2024 तक ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत क्षेत्र कवरेज डेटा जारी की है. इसके अनुसार, किसानों ने इस वर्ष धान, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती में रुचि दिखाई है, जिस वजह से इसकी बढ़त दिखाई दे रही है. जबकि धान, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की खेती में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष फसलों में मामूली गिरावट आई है. दरअसल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 15 मार्च 2023 तक ग्रीष्मकालीन फसलों का कुल क्षेत्रफल 36.745 लाख हेक्टेयर था. वहीं 15 मार्च 2024 को यह बढ़कर 39.440 लाख हेक्टेयर रह गया है. जिसमें धान, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों के रकबे में बढ़ोतरी हुई है. जबकि मूंग, बाजरा और रागी में गिरावट आई है.
ऐसे में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आइए विस्तार से जानते हैं कि ग्रीष्मकालीन फसलों में किस फसल का कितना क्षेत्रफल बढ़ा है और किस फसल का कितना क्षेत्रफल घटा है.
ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत कुल दलहनी फसलों का रकबा इस साल बढ़ा है. 15 मार्च 2023 तक जहां कुल दलहनी फसलों का रकबा 3.217 लाख हेक्टेयर था. वहीं 15 मार्च 2024 तक कुल 3.232 लाख हेक्टेयर रकबा कवर हुआ है. जिसमें हरे चना का रकबा पिछले साल 2.013 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 2.001 लाख हेक्टेयर हो गया. वहीं काले चना का रकबा पिछले साल 1.100 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 1.111 लाख हेक्टेयर हुआ है. हालांकि, अन्य दलहनी फसलों के रकबे में इस साल बढ़त दर्ज की गई है. पिछले साल जहां अन्य दलहनी फसलों का रकबा 0.103 लाख हेक्टेयर था वह इस साल बढ़कर 0.119 लाख हेक्टेयर हो गया है.
कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले इस साल धान के रकबे में बढ़त दर्ज की गई है. दरअसल, 15 मार्च 2023 तक जहां कुल ग्रीष्मकालीन धान की खेती का रकबा 25.087 लाख हेक्टेयर था. वह 15 मार्च 2024 को बढ़कर 27.083 लाख हेक्टेयर हो गया है.
ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत कुल श्री अन्न यानी मोटे अनाजों का भी रकबा 15 मार्च 2024 तक पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है. दरअसल, 15 मार्च 2023 तक जहां मोटे अनाजों का कुल रकबा 3.84 लाख हेक्टेयर था. वहीं 15 मार्च 2024 तक कुल रकबा बढ़कर 4.189 लाख हेक्टेयर हो गया है. जिसमें ज्वार का रकबा पिछले साल 0.085 के मुकाबले 0.170 लाख हेक्टेयर, बाजरे का रकबा पिछले साल 1.264 के मुकाबले 0.973 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं मक्के का भी रकबा पिछले साल जहां इस समय तक 2.408 लाख हेक्टेयर था उसके मुकाबले इस साल 2.992 लाख हेक्टेयर रहा है. हालांकि रागी के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है. दरअसल जहां पिछले साल इस समय तक रागी का रकबा 0.084 था, उसके मुकाबले इस साल 0.056 लाख हेक्टेयर रहा है.
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