
AARDO Executive Committee 77th Session: केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बुधवार को अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) की कार्यकारी समिति के 77वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया. चौहान ने घोषणा की कि भारत की ओर से AARDO सदस्य देशों को तकनीकी सहायता वर्ष 2025-27 के दौरान भी जारी रहेगी. साथ ही वर्ष 2025-27 के दौरान यह सहायता प्रतिवर्ष 50 हज़ार अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी के साथ अब 2,50,000 ( ढाई लाख) अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष होगी.
इससे पहले भारत सरकार की ओर से वर्ष 2009 से 2,00,000 (दो लाख) अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष की दर से AARDO को 6,00,000 ( छ लाख) अमेरिकी डॉलर त्रैवार्षिक के लिए अतिरिक्त तकनीकी योगदान दिया जा रहा था, ताकि भारत में उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण और उन क्षेत्रों में, जहां ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के सफल और अभिनव मॉडल लागू किए गए हैं, के एक्सपोजर विजिट के माध्यम से सदस्य देशों के नामांकित व्यक्तियों की क्षमता निर्माण की जा सके. "वसुधैव कुटुंबकम" की भावना से प्रेरित होकर, भारत AARDO के बहुपक्षीय मंच के माध्यम से ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता, सफल नीतियों और कार्यक्रमों का आदान-प्रदान जारी रखेगा, ताकि अन्य AARDO सदस्य देशों में ग्रामीण परिवर्तन को बढ़ावा दिया जा सके.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए कोशिश करेंगे कि क्षमता निर्माण हमारी प्राथमिकताओं में से एक बना रहे. हमें विश्वास है कि शिक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और समावेशी विकास वे आधारशिलाएं हैं, जिन पर हम एशिया और अफ्रीका की ग्रामीण आबादी के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत विश्व बंधुत्व में विश्वास करने वाला देश है और हम सभी प्राणियों में सद्भाव और विश्व कल्याण की भावना रखते हैं.
चौहान ने धन्यवाद देते हुए कहा कि AARDO ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक समर्पण को दर्शाता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कार्यकारी समिति की बैठक का 77वां सत्र निश्चित रूप से आगामी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के लिए आधार बनेगा, जब AARDO अपने विविध कार्यक्रमों का विश्लेषण करेगा और एक और महत्वाकांक्षी त्रिवर्षीय अवधि 2025-2027 पर विचार करेगा, जिसमें AARDO के कार्यनीतिक ढांचे का व्यापक मध्यावधि मूल्यांकन और समीक्षा शामिल होगी.
भारत और AARDO के संबंध तब से इसकी ऐतिहासिक जड़ों में निहित हैं, जब 1961 में नई दिल्ली में ग्रामीण पुनर्निर्माण पर पहला अफ्रीकी-एशियाई सम्मेलन आयोजित किया गया था. इसके बाद, 1962 में काहिरा में दूसरा सम्मेलन हुआ, जिसने अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण पुनर्निर्माण संगठन (AARDO) की नींव रखी. भारत उन पांच संस्थापक सदस्यों में से एक था और तब से AARDO परिवार का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है.
भारत सबसे अधिक वार्षिक सदस्यता अंशदान 1,55,300 ( एक लाख पचपन हजार तीन सौ) अमेरिकी डॉलर देता है. भारत सरकार समय-समय पर AARDO को संगठनात्मक, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती रही है. यह शुरू से ही कार्यकारी समिति के माध्यम से AARDO की संचालन प्रक्रिया का हिस्सा रहा है. भारत ने वर्ष 2000 और 2009 में क्रमशः 13वें और 16वें AARDO महासम्मेलन की मेजबानी की थी और 2000-2002 तथा 2009-2011 के दौरान AARDO के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है.
उन्होंने AARDO सदस्य देशों के कृषि क्षेत्र की जटिल चुनौतियों को समझते हुए आश्वस्त किया कि भारत कोई भी कसर नहीं छोड़ेगा और अपनी सफल योजनाएं, मॉडल और तकनीकी समाधान साझा करता रहेगा, ताकि AARDO सदस्य देशों में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और किसान सशक्त बन सकें. भारत ने AARDO सचिवालय के निर्माण एवं समय-समय पर नवीनीकरण के लिए अपना योगदान दिया है. भारत सरकार ने अभी हाल में सचिवालय भवन के नवीनीकरण के लिए 4,77,12,700 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत किया है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं AARDO के सभी सदस्य देशों को उनके निरंतर सहयोग और सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूं. भारत और AARDO के बीच साझेदारी हमारे क्षेत्र में ग्रामीण विकास को नई दिशा देने में सफल हुई है. मैं यह दोहराना चाहता हूं कि AARDO में हमारी सामूहिक प्रयासों का अंतिम लक्ष्य हमारे सदस्य देशों के ग्रामीण समुदायों में खुशी और समृद्धि लाना है. यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है.
AARDO का जोर सतत कृषि, ग्रामीण विकास और सामाजिक विकास पर है, जो ग्रामीण समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए बहुत जरूरी है. ग्रामीण विकास मंत्रालय, AARDO के साथ अपने सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए, कार्यक्रमों को तैयार करने और कार्यान्वित करने के लिए निरंतर कार्य करता है. कृषि उत्पादकता बढ़ाने की पहल से लेकर ग्रामीण आय में वृद्धि करने की योजनाओं तक, ये दोनों संस्थाएं जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
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