Honey Export: केंद्र ने शहद का MEP घटाया, जानिए कब तक लागू रहेगी नई व्‍यवस्‍था

Honey Export: केंद्र ने शहद का MEP घटाया, जानिए कब तक लागू रहेगी नई व्‍यवस्‍था

Honey MEP Reduced: भारत दुनिया के बड़े शहद निर्यातकों में शामिल है और अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, बांग्लादेश व कनाडा इसके प्रमुख बाजार हैं. सरकार ने निर्यात पर लगा मिन‍िमम एक्‍सपोर्ट प्राइस कम कर दिया है. इससे निर्यातकों और शहद उत्‍पादकों को फायदा होने की उम्‍मीद है.

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Honey Export: केंद्र ने शहद का MEP घटाया, जानिए कब तक लागू रहेगी नई व्‍यवस्‍थाकेंद्र ने शहद के एक्‍सपोर्ट पर MEP घटाया (सांकेतिक तस्‍वीर)

केंद्र सरकार ने प्राकृतिक शहद के निर्यात को लेकर बड़ा फैसला लिया है. वाणिज्य मंत्रालय की डीजीएफटी (DGFT) की 22 अगस्त को जारी अधिसूचना के अनुसार, HS कोड 04090000 के तहत प्राकृतिक शहद का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) घटाकर 2,000 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से 1,400 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर दिया गया है. केंद्र की ओर से यह छूट 31 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी. हालांकि, शहद का निर्यात पॉलिसी के तहत पहले की तरह “मुक्‍त” श्रेणी में ही रहेगा, लेकिन निर्यातकों को संशोधित कीमत का पालन करना होगा.

शीर्ष शहद निर्यातकों में शुमार है भारत

कृषि मंत्रालय के एक पुराने बयान के अनुसान, भारत दुनिया के बड़े शहद निर्यातक देशों में शामिल है और इसका प्रमुख बाजार अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, बांग्लादेश और कनाडा जैसे देश हैं. भारत से सरसों, यूकेलिप्टस, लीची, सूरजमुखी, पोंगामिया, मल्टी-फ्लोरा हिमालयन, बबूल और वाइल्ड फ्लोरा शहद जैसी कई किस्में निर्यात की जाती हैं. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) निर्यातकों को विभिन्न प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता है. 

शहद उत्‍पादन को बढ़ावा दे रही सरकार

केंद्रीय कृषि और क‍िसान कल्‍याण मंत्रालय की 'वार्षिक र‍िपोर्ट 2024-25' के मुताबि‍क, सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) चला रही है. इस मिशन का लक्ष्य देश में वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना और "स्वीट रिवोल्यूशन" को साकार करना है. इस योजना का कुल बजट 500 करोड़ रुपये रखा गया था (2020-21 से 2022-23), जिसे अब बढ़ाकर 2025-26 तक कर दिया गया है. शेष 370 करोड़ रुपये की राशि से यह योजना आगे चलेगी.

मिशन का इन क्षेत्रों पर फोकस

NBHM के तहत 3 मिनी मिशन चलाए जा रहे हैं, जिनमें किसानों और खासकर महिलाओं को प्रशिक्षण, जागरूकता, आधुनिक उपकरण, शहद परीक्षण और रोग पहचान प्रयोगशालाएं, बी कॉलोनियों का वितरण, हनी प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन की सुविधाएं, बाजार व्यवस्था और डिजिटल रजिस्ट्रेशन जैसी पहलें शामिल हैं. इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और शहद उत्पादन को नई ऊंचाई देना है.

वित्‍त वर्ष 2024 में कितना था एक्‍सपोर्ट ?

कृषि मंत्रालय (MoAFW-2023) के अनुसार, देश में शहद उत्पादन 1.42 लाख मीट्रिक टन था. वहीं, शहद उत्पादन में उत्तर प्रदेश 17 फीसदी, पश्चिम बंगाल 16 फीसदी, पंजाब 14 फीसदी, बिहार 12 फीसदी और राजस्थान 9 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं. वहीं, वित्‍त वर्ष 24 में भारत ने 107963.21 मीट्र‍िक टन शहद का निर्यात किया था, जिसकी कीमत 177.52 मिल‍ियन अमेरिकी डॉलर थी. (एएनआई के इनपुट के साथ)

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