प्याज के किसान बेहालप्याज ऐसी फसल है जिसका इस्तेमाल पूरे साल बड़े पैमाने पर किया जाता है. यही कारण है कि प्याज को लेकर विवाद भी अक्सर देखने को मिलते हैं. यहां तक कि देश की राजनीति में भी प्याज ने कई बार हलचल मचाई है-सत्ता तक गिराने के आरोप लगे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्याज हमारे जीवन और अर्थव्यवस्था में कितना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भारत में प्याज की खेती मुख्यतः महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में की जाती है. इसके अलावा कर्नाटक, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी इसकी अच्छी पैदावार होती है.
लेकिन दुख की बात यह है कि जिन किसानों की मेहनत से यह फसल हमारे घरों तक पहुंचती है, वही किसान आज बदहाली का सामना कर रहे हैं. बाजार में प्याज की कीमत कभी हजारों रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है, फिर भी किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पाते. और इससे भी अधिक दुखद यह है कि सरकारें अक्सर इन हालातों को देखकर भी अनदेखा करती रहती हैं. जिन किसानों को "अन्नदाता" कहकर सम्मानित किया जाता है, उन्हीं की पीड़ा पर जब सरकार को कदम उठाना चाहिए, तब वह मौन दिखाई देती है.
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि उचित दाम न मिलने पर कई किसान या तो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं, या फिर अपनी फसलें सड़कों पर फेंक देते हैं.
हालांकि, इस बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने प्याज किसानों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. इस फैसले के बाद देशभर के किसानों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अगर आंध्र प्रदेश में किसानों को इस तरह की सहायता मिल सकती है, तो अन्य राज्य सरकारें ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं.
तो आइए जानते हैं, आंध्र प्रदेश सरकार ने आखिर कौन-सा कदम उठाया है. लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं की पिछले एक साल में प्याज की कीमतों में कितना उतार-चढ़ाव आया है. एक साल पहले, यानी 31 अक्टूबर 2024 को, ऑल इंडिया थोक भाव 3667 रुपये प्रति क्विंटल था. लेकिन 31 अक्टूबर 2025 तक यह घटकर केवल 1215 रुपये प्रति क्विंटल रह गया. कुल मिलाकर, दाम बढ़ने के बजाय पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज के दाम में 66.87 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. किसानों का कहना है कि उत्पादन और अन्य लागतों के कारण उनकी लागत 1800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है. ऐसे में, इस भारी नुकसान को देखते हुए, किसान सरकार से घाटे की भरपाई करने की मांग कर रहे हैं.
आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री किंजरापु अचन्नायडू ने बताया कि सरकार ने प्याज किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है. इसके तहत कुरनूल और कडप्पा जिलों के लगभग 30,000 किसानों को कुल 104.57 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसके अलावा, सरकार ने प्याज की गिरती कीमतों के बीच किसानों को मदद करने के लिए बाजार से प्याज खरीदकर कीमतों को बढ़ाया और पहले ही 10 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में जमा कर दिए हैं.
देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक जिले नासिक में नई फसल की कटाई में देरी और बारिश की वजह से पिछले एक हफ्ते में प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ गई हैं. लासलगांव एपीएमसी में थोक कीमत चार दिनों में 1,350 रुपये से 1,710 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई. आवक में कमी के कारण मांग और सप्लाई का अंतर बढ़ गया है, जिससे प्याज के दामों में तेजी आई है.
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