भारत से प्याज का रिकॉर्ड निर्यातइस बार अच्छे प्रोडक्शन, अच्छे मौसम और लगातार विदेशी डिमांड की वजह से भारत का प्याज एक्सपोर्ट पिछले साल के 1.15 मिलियन टन (लगभग 12 लाख टन) से ज्यादा होने की उम्मीद है. नासिक, अहमदनगर, पुणे और जलगांव (महाराष्ट्र) के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे बड़े प्याज उत्पादक इलाकों में भरपूर सप्लाई ने व्यापार को आसान बनाया है. लगातार कटाई और अच्छी ढुलाई के साथ ही सरकारी बफर स्टॉक और मॉनिटरिंग सिस्टम ने कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद की है. इससे बिना किसी रुकावट के एक्सपोर्ट को भी मदद मिल रही है.
एक्सपर्ट ने बताया कि हल्के लाल प्याज अपनी लंबी शेल्फ लाइफ और बेहतर गांठ बनने की वजह से एक्सपोर्ट में असली वैरायटी बनकर उभरे हैं. नासिक के प्याज अपनी हल्की तीखेपन के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत पसंद किए जाते हैं, जो पाकिस्तानी या मिस्र के प्याज की तुलना में मिडिल ईस्ट के ग्राहकों को ज्यादा पसंद आता है. इस बीच, बेल्लारी रोज प्याज विदेशों में दक्षिण भारतीय समुदायों के बीच पसंदीदा बना हुआ है और सलाद और सांभर बनाने में पूरा इस्तेमाल होने के कारण होटलों और रेस्टोरेंट में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.
फ्रेश प्रोड्यूस एक्सपोर्टर यूनिवर्स एक्सपोर्ट्स के प्रवीण चांगदेवराव वानखेड़े ने 'फ्रेश प्लाजा.कॉम' को बताया कि महाराष्ट्र के नासिक, अहमदनगर, पुणे, जलगांव जैसे मुख्य प्याज उगाने वाले क्षेत्रों के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में भी भारत में प्याज की उपलब्धता अच्छी है. वानखेड़े के अनुसार, इस साल अनुकूल मौसम के कारण उत्पादन ज्यादा हुआ है, जिससे बल्ब (गांठ) का आकार बेहतर हुआ है और रंग भी एक जैसा है. "कुल मिलाकर क्वालिटी में सुधार हुआ है, प्याज कॉम्पैक्ट हैं, उनमें नमी कम है और शेल्फ लाइफ ज्यादा है. कम खराब होने की दर से घरेलू और एक्सपोर्ट दोनों तरह के व्यापारियों को फायदा होता है," वे कहते हैं.
लाल प्याज का एक्सपोर्ट सीजन अक्टूबर से अप्रैल तक चलेगा, जो दिसंबर से फरवरी तक पीक पर रहेगा. कुछ क्षेत्रों में बेमौसम बारिश हुई, जिससे फसल कटाई में देरी हुई और ढुलाई का खर्च थोड़ा बढ़ गया, लेकिन अब सप्लाई स्थिर हो गई है और बाजार का माहौल अच्छा बना हुआ है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, दुबई एक मुख्य बाजार बना हुआ है, जिसमें भारतीय लाल प्याज का हिस्सा लगभग 70 परसेंट है. यहां पूरे साल मांग स्थिर रहती है, जिसे प्रवासी समुदाय के लोग भारतीय लाल प्याज पसंद करते हैं. अन्य जगहों में सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, मलेशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और इंडोनेशिया शामिल हैं.
भविष्य में एक्सपोर्टर यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और पूर्वी एशिया में नए बाजारों की तलाश करेंगे. भारतीय प्याज के पायलट कंसाइनमेंट पहले ही नीदरलैंड, UK और सिंगापुर जैसे देशों में भेजे जा चुके हैं. केन्या, तंजानिया और दक्षिण अफ्रीका को भी नए खरीदारों के तौर पर देखा जा रहा है. इन देशों से भी भारतीय प्याज की मांग आ सकती है. कुल मिलाकर, अगर मौसम अच्छा रहता है और एक्सपोर्ट पॉलिसी खुली रहती है, तो भारत पिछले साल के 1.15 मिलियन टन (लगभग 12 लाख टन) के एक्सपोर्ट को पार कर सकता है."
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