Gorakhpur News: दशकों तक समाज की मुख्य धारा से कटे रहने के बाद विगत छह सालों से विकास की प्रक्रिया संग कदमताल कर रहे वनटांगिया समाज की आधी आबादी एक बार फिर गोरखपुर महोत्सव के मंच पर फैशन का जलवा बिखेरने जा रही है. महोत्सव के औपचारिक समापन के दिन 13 जनवरी की शाम मंच पर आधा घंटे का समय वनटांगिया महिलाओं के नाम रहेगा. वनटांगिया फैशन शो का संयोजन, इन्हें लगातार मंच उपलब्ध कराने की कोशिशों में लगीं सुगम सिंह शेखावत करेंगी. वनटांगिया महिलाएं और फैशन शो, शब्दों का यह समुच्चय भले ही अचरज में डालता हो लेकिन बीते दो सालों से यह हकीकत है.
जो वनटांगिया महिलाएं जंगल में बसे अपने गांव की झोपड़ी तक सिमटी रहती थीं, वर्ष 2017 के बाद योगी सरकार द्वारा मुहैया कराए गए हर बुनियादी सुविधाओं से आच्छादित होकर आत्मविश्वास से लबरेज हो चुकी हैं. मिशन शक्ति से मिले आगे बढ़ने के जागरूकता के मंत्र ने उन्हें और भी उत्साहित किया है. दो सालों से उनकी दस्तक फैशन व संस्कृति शो के मंच तक हो चुकी है.
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वनटांगियों को फैशन शो के रैंप तक ले जाने वाली सुगम सिंह शेखावत का कहना है जनवरी 2022 से अब तक गोरखपुर महोत्सव, आगरा महोत्सव, अयोध्या के सावन झूला महोत्सव, मथुरा, काशी में जी-20 समारोह व महराजगंज महोत्सव में आयोजित फैशन व संस्कृति शो में वनटांगिया महिलाओं ने शानदार प्रतिभागिता से यह साबित कर दिखाया है कि मौका मिलने पर वे किसी से कम नहीं हैं. एक बार फिर उन्हें गोरखपुर महोत्सव के अंतर्गत फैशन शो में आत्मविश्वास प्रदर्शन का अवसर मिल रहा है. फैशन शो में रैंप पर चलने वालों में कोई बकरी चराती थीं, कोई खेती तो कोई सब्जी बेचने का काम. उन्हें प्रशिक्षित कर रैंप तक लाया गया है.
जानकारों के मुताबिक, वनटांगिया गांव की कहानी ब्रिटिश काल से जुड़ी हुई है. ब्रिटिश हुकूमत यहां पर रेल पटरी बिछाने के लिए साखू के पेड़ों की कटनी कर रही थी. इसके बाद जंगल में साखू के पेड़ों को फिर से तैयार करने और उनकी देखरेख के लिए 1918 में गरीब भूमिहीन मजदूरों को जंगल में बसाने का काम किया. इस दौरान 5 बस्तियां बसी थीं, जिसमें जंगल तिकोनिया नंबर 3, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा है. इन लोगों को जंगल में पेड़ की देखरेख और काम करने की जिम्मेदारी दी गई. यह लोग वर्मा देश के ‘टांगिया विधि’ का इस्तेमाल किया करते थे, इसलिए वन में रह कर काम करने वाले इन लोगों को वनटांगिया कहा गया. इन्हीं के नाम पर यह गांव बसे हैं. वहीं, गोरखपुर और महाराजगंज में लगभग 23 वनटांगिया गांव मौजूद हैं.
कोटेदार राम गणेश ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 2009 से कुसमी जंगल स्थिति वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर 3 के गांव में दिवाली मनाते हैं. यहां के लोग भी हर साल दिवाली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भगवान प्रभु राम की तरह इंतजार करते हैं. राम गणेश ने कहा, ‘बच्चों से लेकर बुजुर्ग हर कोई यह कहता है कि अगर मुख्यमंत्री नहीं आए तो गांव में एक भी दीपक नहीं जलेगा. इस गांव के हर घर में दीपक योगी बाबा के नाम से जलाए जाते हैं.’ साथ ही उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने बतौर सांसद रहते हुए भी इन गांवों के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी थी. आज वनटांगिया के 23 गांव में विकास के साथ शिक्षा की हर कसर पूरी कर दी है. यही नहीं, जब वन विभाग इन जंगलों से उजाड़ रहा था, तब भी बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने लड़ाई लड़कर इनको यहां बसाया था.
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