इस राज्य में गेंदे के फूल का बढ़ा 5 गुना रकबा, मार्केट में खरीदार न मिलने से किसान हुए परेशान

इस राज्य में गेंदे के फूल का बढ़ा 5 गुना रकबा, मार्केट में खरीदार न मिलने से किसान हुए परेशान

स्थानीय बाजार में तमिलनाडु के फूलों की मांग बढ़ने के कारण स्थानीय स्तर पर उगाए गए गेंदे के फूलों की मांग में भारी गिरावट आई है. तिरुवंनंतपुरम में व्यापारियों के इस फैसले ने किसानों को बहुत प्रभावित किया है.

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इस राज्य में गेंदे के फूल का बढ़ा 5 गुना रकबा, मार्केट में खरीदार न मिलने से किसान हुए परेशानगेंद फूल की खेती (फाइल फोटो)

तिरुवनंतपुरम में गेंदे के फूल की खेती खूब जोर पकड़ रही है. जिला अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट 'पूविली 2024' में यह बताया गया है कि जिले में फूल की खेती के रकबे में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल फूलों की खेती के तहत 216.82 हेक्टेयर क्षेत्र है, जो पिछले साल इसी क्षेत्र में इस्तेमाल की गई भूमि से पांच गुना ज़्यादा है. पर इसके बाद भी जिले के किसान इस बार परेशान हैं. खास कर गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान अधिक चिंतित दिखाई दे रहे हैं. 

दरअसल, किसानों का कहना है कि जिले के स्थानीय व्यापारी अपने जिले में जैविक तरीकों से उगाए गए फूलों को खरीदने में तरजीह नहीं दे रहे हैं, बल्कि वो तमिलनाडु से मंगाए गए फूलों को खरीद रहे हैं. जिनकी खेती में कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है. इसके कारण स्थानीय किसानों में निराशा है, क्योंकि उनकी मेहनत बेकार जा रही है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार तिरुवंनंतपुरम में व्यापारियों के इस फैसले ने किसानों को बहुत प्रभावित किया है. क्योंकि कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने अच्छी कमाई की उम्मीद में लीज पर जमीन लेकर खेती की थी. 

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स्थानीय फूलों की नहीं है मांग

स्थानीय बाजार में तमिलनाडु के फूलों की मांग बढ़ने के कारण स्थानीय स्तर पर उगाए गए गेंदे के फूलों की मांग में भारी गिरावट आई है. इसके अलावा फूलों की मांग में कमी आने की एक और वजह है. दरअसल, इस साल केरल के वायनाड में जो हादसा हुआ था उसके चलते कॉलेज और सरकारी दफ्तरों में ओणम का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. जिसके चलते स्थानीय फूलों की मांग और कम हो गई. रिपोर्ट के अनुसार ओणम के दौरान अच्छी कमाई की उम्मीद से कई किसानों ने गेंदे की खेती की थी. कुदुंबश्री भी उन किसानों में से एक थी जिन्होंने 25,000 रुपये लोन लेकर खेती की थी. पर अब फूल की मांग ही नहीं हो रही है. 

व्यपारियों की मजबूरी

गेंदे के फूल की खेती करने वाली किसान शीबा ने कहा कि उनके द्वारा उगाए गए फूल तुरंत ही मुरझा जाते हैं, क्योंकि वे उन फूलों में कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करते हैं. जबकि कीटनाशकों के इस्तेमाल करने से तमिलनाडु का गेंदे से कई दिनों तक ताजा रहता है. जबकि इस पूरे मामले में व्यापारियों की अपनी अलग मजबूरी है. उन्होंने कहा कि अगर वे तमिलनाडु से गेंदे के फूल का आयात नहीं करेंगे तो फिर दूसरे फूल उन्हें वहां से नहीं मिलेंगे. इस वजह से व्यापारी अलग मुश्किल में फंसे हुए हैं. 

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दोबारा नहीं करेंगे गेंदे की खेती

फूल उत्पादक किसान शीबा बताती हैं कि उनकी तरह कई ऐसे किसान हैं जो चिंता से जूझ रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि कृषि विभाग की तरफ से समस्या का कुछ समाधान निकल जाएगा. वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि उन्होंने मझुवन्नूर में 10 सेंट ज़मीन पर पहली बार गेंदा फूल की खेती शुरू की थी, पर जब उन्होंने देखा की स्थानीय व्यापारी उनके फूलों को नहीं खरीद रहे हैं तब उन्होंने सभी फूलों को तोड़ दिया और उससे नारियल के पेड़ों के लिए खाद बनाने का काम करेंगी. उन्होंने कहा कि वो अब कभी भी फूल की खेती नहीं करेगी. 
 

 

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