Mahila Kisan Diwas: ये कहानी जरा हटकर है, साहित्य औऱ संगीत को साथी बनाकर फसल लगाती हैं ये महिला किसान

Mahila Kisan Diwas: ये कहानी जरा हटकर है, साहित्य औऱ संगीत को साथी बनाकर फसल लगाती हैं ये महिला किसान

महिला किसान दिवस के मौके पर पढ़िए एक महिला किसान की कहानी जो पिछले 45 साल से खेती कर रही हैं और खाली वक्त में मुंशी प्रेमचंद, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा जैसे साहित्यकारों की रचनाएं पढ़ती हैं..

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Mahila Kisan Diwas: ये कहानी जरा हटकर है, साहित्य औऱ संगीत को साथी बनाकर फसल लगाती हैं ये महिला किसानमहिला किसान दिवस पर एक खास कहानी

महिला किसान का जिक्र करते ही एक सशक्त महिला का नहीं बल्कि ऐसा चेहरा दिमाग में आता है जो कम पढ़ी लिखी है, खेतों में काम करती है, उसको ज्यादा जानकारी है. लेकिन ये सच नहीं, एग्रीकल्चर में भी कुछ महिलाएं बेहद मजबूत हैं, उनको अपने काम की बेहतर समझ है और उनका बौद्धिक ज्ञान भी बहुत आगे है.  महिला किसान दिवस पर जानिए एक ऐसी महिला किसान की कहानी जो पिछले 45 साल से सिर्फ खेती कर रही हैं, उन्होंने खेतों में काम किया है, खेती में बदलते दौर को देखा है, तकनीक का समावेश होते देखा है लेकिन इन सबके बीच खास बात ये है काम के दौरान जब उन्हें वक्त मिला तो साहित्य और संगीत को अपना साथी बनाया. और जब मौका लगा खेतों में भी किताब लेकर चली गईं. मोबाइल पर पसंदीदा संगीत सुनते हुए फसल बोई.

45 साल से खेती कर रही हैं ऊषा सिंह

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बंदी गांव की रहने वाली उषा सिंह एक पूरी तरह ट्रेडिशनल महिला किसान हैं. गांव में शादी होने के बाद उन्होंने खेती में अपने पति का हाथ बंटाया लेकिन धीरे धीरे वो इस खेती में इतनी निपुण हो गयी कि आसपास के लोग भी उनसे खेती से जुड़ी सलाह मांगने आते थे. उषा सिंह के गांव में बागवानी या दूसरी कैश क्रॉप नहीं होती लेकिन सिर्फ गेंहू, सरसों और गन्ना की खेती से ही उन्होंने अपने परिवार को अच्छी तरह आगे बढ़ाया. आज वो खुद गांव में एक सम्मानित जिंदगी जीती हैं और उनके सभी बच्चे भी अपने करियर में अच्छा काम कर रहे हैं. ऊषा सिंह को मिलेट (Millets) ज्वार, बाजरा और मक्का की खेती की बेहद अच्छी जानकारी है. 

साहित्य पढ़ने की बेहद शौकीन हैं ऊषा रानी

ऊषा रानी के परिवार का साहित्य की तरह बेहद रुझान था, उनके माता-पिता दोनों मशहूर साहित्यकारों को पढ़ते थे जिससे उनको भी उपन्यास और बाकी साहित्यिक किताबें पढ़ने का शौक लग गया. इनके पसंदीदा साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद हैं जिनकी लगभग हर कहानी और उपन्यास उन्होंने पढ़ा है और याद भी है. गोदान, पूस की रात, दो बैलों की कथा जैसी कहानी उनकी फेवरेट हैं. मुंशी प्रेमचंद के अलावा वो शरतचंद, महादेवी वर्मा समेत बाकी साहित्यकारों की रचनाएं भी पढ़ चुकी हैं. इतना ही नहीं उन्हें इंडिया टुडे की साहित्य वार्षिकी भी पढ़ने का शौक है.

लेखन से भी है है बेहद लगाव

सिर्फ किताबें या उपन्यास पढ़ना ही नहीं , खाली वक्त में वो लेखन भी करती हैं, उनके लेख कल्याण, कादम्बिनी जैसी मैंगजीन में छपते हैं, इसके अलावा वो बाल कहानी, संस्मरण, कविताएं भी लिखती हैं. ऊषा सिंह को हिंदी भाषा की बेहद अच्छी जानकारी है. बेहद संवेदशील व्यक्तित्व वाली ऊषा रानी गांव में रहने वाली दूसरी महिला किसानों को सशक्तीकरण के लिए प्रेरित करती हैं और जरूरत पड़ने पर उनकी हर तरह से मदद भी करती हैं.  खेती किसानी से जुड़े रहने के अलावा उन्होंने गाय-भैसों का पालन भी किया जिससे उनका लगाव जानवरों से भी है. 
 

 

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