संयुक्त किसान मोर्चा और 18 किसान संघों ने शनिवार को बरनाला में महापंचायत का आयोजन किया. इस महापंचायत में किसान नेताओं ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की. खास बात यह है कि इस दौरान पूरे उत्तर भारत से आए किसानों ने 13 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी तक 'दिल्ली चलो' मार्च की भी घोषणा की. इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) प्रधान जगजीत सिंह दलेवाल ने कहा कि हम एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को सी2 (उत्पादन की व्यापक लागत) प्लस 50 प्रतिशत फॉर्मूले के अनुसार लागू करने और किसानों- मजदूरों की ऋण माफी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2006 की अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन ने कृषि लागत और मूल्य आयोग को उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी तय करने का सुझाव दिया था. इसके बाद भी केंद्र सरकार इसे लागू नहीं कर पाई है. वहीं, किसानों ने 3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की भी मांग की, जो किसानों द्वारा तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के विरोध के बाद भड़की थी.
किसान संगठनों ने कहा कि वे 10 जनवरी को चंडीगढ़ में बुद्धिजीवियों के एक समूह से मिलेंगे. वहीं, 26 जनवरी को उन किसानों की याद में देश भर में कैंडल मार्च आयोजित किए जाएंगे, जो अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए थे. हरियाणा के किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही, जिसके आधार पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया गया था.
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बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया था कि वह केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अगले तीन महीनों में देशभर में महापंचायतें आयोजित करेगा. उसके बाद फरवरी में किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे. तब संगठन ने एक बयान में कहा था कि बैठक में सरकार की किसान विरोधी नीतियों और किसानों की मांगों के बारे में जागरूक करने के लिए अगले तीन महीनों में देश भर में 20 महापंचायतें आयोजित करने का निर्णय लिया गया. उसके बाद फरवरी 2024 में दिल्ली कूच करने का फैसला लिया गया. संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार किसानों की आठ मुख्य मांगें हैं, जिनमें एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी पर कानून, कर्जमाफी, बिजली का निजीकरण रोकना और 60 साल से अधिक की उम्र के किसानों को पेंशन देना शामिल है.
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