भारत में अब मशरूम की मांग तेजी से बढ़ रही है. पहले यह शहरी लोगों तक ही सीमित था, लेकिन अब यह मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. आज इसकी सब्जी के बिना कोई भी कार्यक्रम पूरा नहीं माना जाता है. मशरूम कई प्रकार के होते हैं, भारत में अच्छी कमाई के लिए किसान व्हाइट बटर मशरूम, ऑयस्टर मशरूम, मिल्की मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम उगा रहे हैं. मशरूम की खेती के लिए आपको उन किस्मों का चयन करना चाहिए जो कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकें. इसके अलावा आसपास के बाजार में मांग के अनुसार भी मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. वर्तमान समय में पूरी दुनिया में खेती योग्य मशरूम की 70 किस्में पाई जाती हैं. ऐसे में अगर आप भी मशरूम की खेती कर रही है और इससे बम्पर उत्पादन चाहते हैं तो आप गर्म पानी विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं. क्या है ये विधि आइए जानते हैं.
फसल के अवशेषों (पुआल) को एक बड़े पैन या बर्तन में डालकर पानी भर दिया जाता है और इस पानी को (60-65° सेल्सियस) गर्म किया जाता है और इसमें फसल के अवशेषों को लगभग 20 से 30 मिनट तक उबालकर उससे उपचरित किया जाता है. इसके बाद भूसे को साफ जगह पर फैलाकर ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है. ठंडा करने और नमी की मात्रा जांचने के बाद इसमें 10 प्रतिशत मात्रा में बीज और सूखी फसल के अवशेष (पुआल) मिलाते हैं. इसके बाद इन्हें पॉलीबैग में भरकर ठंडी जगह (20-25 डिग्री सेल्सियस) में रख दिया जाता है. इस विधि का इस्तेमाल मशरूम की फसल से बंपर उत्पादन लेने के लिए किया जाता है.
मशरूम की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे उगाने के लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं होती, बल्कि बड़े प्लास्टिक बैग, खाद, धान और गेहूं का भूसा ही काफी होता है. अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप इसे एक छोटी सी जगह पर शेड बनाकर और उसे लकड़ी और जाल से ढककर, उदाहरण के तौर पर आजमा सकते हैं.
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ऑयस्टर मशरूम की पहली कटाई लगभग 15 से 25 दिनों के बाद या जब मशरूम का बाहरी किनारा छतरी के ऊपर मुड़ने लगे तब करनी चाहिए. मशरूम को नीचे से थोड़ा मोड़ दिया जाता है जिससे मशरूम टूट जाता है. मशरूम की दूसरी कटाई पहली कटाई के 8-10 दिन बाद होती है. इस प्रकार तीन बार उत्पादन लिया जा सकता है. एक किग्रा. सूखे भूसे से लगभग 700 से 800 रुपये ग्राम तक पैदावार मिलती है.
भंडारण के लिए मशरूम को तुरंत तोड़कर पॉलिथीन में पैक नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें कपड़े या कागज पर लगभग 10-12 घंटे तक सुखाकर पैक करना बेहतर होता है, ताकि मशरूम खराब न हों. मशरूम का उपयोग सूप, सब्जी, बिरयानी, अचार बनाने में किया जाता है.
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