कृषि निर्यात भारत में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं. कई योजनाएं लाई जा रही हैं. साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि देश के किसानों की आय बढ़ी है. इस बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि कृषि निर्यात पर अंकुश लगाए जाने के कारण इसका सीधा असर उत्पाद की कीमतों पर पड़ता है. इससे किसानों को अपनी उपज की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है. जबकि किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत मिलनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर इसका असर पड़ता है. इसलिए इनमें एक संतुलन होना चाहिए.
नई दिल्ली में भारत कृषक समाज की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि 1991 में जब देश में आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हुआ, उस समय इससे कृषि के क्षेत्र में कोई व्यापक प्रभाव नहीं पड़ा. इसलिए अभी भी किसानों के समर्थन के नाम पर हमारे पास अभी भी बहुत सारे प्रतिबंध हैं. उन्होंने कहा कि जब भी कीमतों में बढ़ोतरी की बात होती है, हमारा ध्यान इस बात पर रहता है कि उपभोक्ताओं के ऊपर इसे थोप दिया जाए. पर यह भी एक गंभीर विषय है. इसके बारे में भी हमें सोचने की जरूरत है.
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वी.अनंत नागेश्वरन ने आगे कहा कि अगर हम खाद्य पदार्थों की कीमतों पर अंकुश लगाते रहेंगे तो इससे किसानों का व्यापार प्रभावित होगा क्योंकि अच्छी कीमत मिलना किसानों के लिए भी जरूरी है. अच्छी कीमत प्रणाली के साथ किसानों को बीमा योजनाओं के लाभ से भी जोड़ा जाना चाहिए. ताकि कम कीमत मिलने पर भी किसानों को मुआवजा दिया सके. अगर किसान को इस साल किसी फसल के अच्छे दाम मिलते हैं और अगले साल भी अच्छे दाम की उम्मीद में अधिक खेती कर लेता है और उसे कीमत नहीं मिलती है तो फिर नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसलिए किसान को बाजार के ऐसे उतार-चढ़ाव से बचाने के उपाय करने चाहिए. किसानों को इससे बचाने के लिए उन्हें कीमतों के प्रति पहले से ही थोड़ी बहुत जानकारी होनी चाहिए.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने एक बेहतर सिस्टम बनाने की वकालत करते हुए कहा कि जब भी स्टॉक की बात आती है कि तो बाजार आम तौर पर इसका फायदा उठाते हैं. उन्होंने कहा कि चाहे यह निर्यात में प्रतिबंध की बात हो या फिर शु्ल्क मुफ्त आयात की बात हो, भारतीय किसानों के पास एक अच्छी कीमत मिलने का मौका हमेशा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि चावल और गन्ने की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना सही नहीं है. देश में लगातार हृदय और शुगर के मरीज बढ़ रहे हैं. साथ ही इनकी खेती पर्यावरण के लिहाज से भी सही नहीं है क्योंकि अधिक पानी की जरूरत होती है. इसलिए हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए ही यह खतरा है.
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इस साल जारी किए आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि कृषि उत्पादों पर विशेष परिस्थितियों में बैन हटाया जाना चाहिए. इससे किसानों को किसी एक उत्पाद पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी. साथ ही किसानों को अधिक उपज होने पर भी नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा. किसानों को यह अधिकार होने चाहिए की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी हुई कीमतों का लाभ उन्हें भी मिल सके. साथ ही कृषि उत्पादों पर बैन के जानकारी पहले से ही देनी चाहिए, ताकि जिन अचानक किसी के सामने परेशानी वाली स्थिति नहीं आए.
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