Basmati paddy: उत्तर प्रदेश के इन जिलों में 60 दिनों के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री पर रोक, जानिए क्या है वजह?

Basmati paddy: उत्तर प्रदेश के इन जिलों में 60 दिनों के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री पर रोक, जानिए क्या है वजह?

उत्तर प्रदेश सरकार ने बासमती चावल उगाने वाले 30 जिलों में 60 दिनों के लिए 10 रासायनिक पेस्टीसाइड दवाओ पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध की अधिसूचना उत्तर प्रदेश के अपर प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी की गई है. इसके बाद, उत्तर प्रदेश के अपर कृषि निदेशक फसल सुरक्षा ने एक अधिसूचना जारी की है.

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Basmati paddy: उत्तर प्रदेश के इन जिलों में 60 दिनों के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री पर रोक, जानिए क्या है वजह?बासमती धान में कीटनाशक का छिड़काव

बासमती धान में रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बासमती का स्टॉक खारिज कर दिया गया है. इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 प्रतिबंधित कीटनाशकों के छिड़काव पर अंकुश लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. राज्य सरकार का मानना है कि निर्धारित अधिकतम अवशेष स्तर (MRSL) से अधिक चावल के दानों में फसल सुरक्षा के रसायनों के उपयोग के कारण बासमती की बिक्री, वितरण और उपयोग प्रभावित उत्पादकों के हित में नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 60 दिनों के लिए बासमती उगाने वाले 30 जिलों में कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसकी अधिसूचना उत्तर प्रदेश के अपर प्रमुख सचिव देवेश चतुर्वेदी द्वारा जारी की गई है. इसके बाद उत्तर प्रदेश के अपर कृषि निदेशक कृषि रक्षा ने अधिसूचना जारी की है. 

इन कीटनाशकों पर लगा 60 दिनों का प्रतिबंध

उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 कीटनाशकों और फफूंदनाशकों जैसे ट्राइसाइक्लाज़ोल, बुप्रोफ़ाज़िन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफोस, हेक्साकोनाज़ोल, प्रोपिकोनाज़ोल, थायोमेथैक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोपिड और कार्बेडाज़िम पर प्रतिबंध लगा दिया है. सितंबर-अक्टूबर में बासमती की फसल पर कीटनाशकों के प्रयोग के कारण कीटनाशकों के अवशेष दानों में रह जाते हैं जिससे बासमती चावल की गुणवत्ता प्रभावित होती है.

बासमती उगाने वाले यूपी के 30 जिले

उत्तर प्रदेश राज्य के तीस जिलों जैसे कि आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर और संभल में बासमती चावल उगाने वाले क्षेत्रों में 60 दिनों तक प्रतिबंधित खाद नहीं बेच सकते हैं. यह अधिसूचना 25 सितंबर को जारी की गई है और इसमें यह निर्देश दिया गया है कि इसे कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए ताकि बासमती चावल की गुणवत्ता बनी रहे. अगर कोई इस निर्देश का उल्लंघन करता है, तो उस पर नियमों के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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बासमती निर्यात में गिरावट

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), भारत सरकार को अधिकतम अवशेष स्तर के कड़े मानकों के कारण बासमती चावल के निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए एपीडा द्वारा अवगत कराया गया है कि यूरोपियन यूनियन द्वारा बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर (MRL) 0.01 ppm निर्धारित किया गया है. बासमती चावल में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल निर्धारित MRL से अधिक पाए जाने के कारण इसके यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के निर्यात में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 15 प्रतिशत की कमी आई थी.

कीट और रोग से बचाव का तरीका

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ में बासमती चावल में फीटों और रोगों को नियंत्रित करने के लिए कृषि रक्षा रसायनों के विकल्प के रूप में एकीकृत रोग प्रबंधन (आई०डी०एम०) मोड्यूल की संस्तुति की गई है. अगर कीट, बीमारी की कोई समस्या है तो उसे अपनाने की सलाह किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र ले सकते हैं. एपीडा ने उत्तर प्रदेश की विरासत बासमती उपज को बचाने और अन्य देशी बासमती चावल के बाधा मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए इन कीटनाशकों पर पाबंदी निबंधन लगाने का अनुरोध किया है. उत्तर प्रदेश की इस अधिसूचना को  प्रकाशित किए जाने के दिनांक से 60 दिनों की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश राज्य के 30 जिलों में इन दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध  रहेगा.

 

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