सरकार ने 2025-26 चीनी सीजन के लिए 15 लाख टन (एलएमटी) चीनी के निर्यात की अनुमति दी है. साथ ही गन्ना शीरे पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को हटाने का भी फैसला किया है. ऐसे में यह पूरी तरह से जीरो हो गया है. खाद्य मंत्रालय ने इस सिलसिले में शुक्रवार को सभी शुगर मिलों को नोटिफाई किया है कि उसने साल 2025-26 सीजन (अक्टूबर–सितंबर) के दौरान 15 लाख टन चीनी के निर्यात कोटा अलॉट आवंटित करने का निर्णय लिया है. यह परमिट पिछले तीन चीनी सीजन्स में औसत उत्पादन के आधार पर सभी चालू शुगर मिलों के बीच प्रो-राटा आधार पर बांटे गए हैं.
जो नोटिफिकेशन शुगर मिल्स को भेजा गया है, उसमें कहा गया है, 'सभी शुगर मिलों को उनके तीन सालों के औसत उत्पादन का 5.286 प्रतिशत समान रूप से कोटा अलॉट किया गया है.' इसके अलावा, यह भी बताया गया कि मिलें इस तय की गई मात्रा की चीनी का निर्यात खुद या व्यापारी एक्सपोर्टस/रिफाइनरियों के जरिये 30 सितंबर तक कर सकती हैं. बिल ऑफ लैडिंग (BL) की अंतिम तिथि भी 30 सितंबर ही होगी. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि निर्यात की मंजूरी किस तारीख से शुरू होगी.
सरकार के अनुसार अगर कोई मिल अपने आवंटित निर्यात कोटा का प्रयोग नहीं करना चाहती है, तो वह इसे 31 मार्च 2026 से पहले सरकार को सूचित करके वापस कर सकती है. मंत्रालय ने कहा कि ऐसे अनुपयोगी कोटे को बेहतर निर्यात प्रदर्शन वाली मिलों या इच्छुक मिलों को पुनः आवंटित या वितरित किया जा सकता है. मंत्रालय ने मिलों को यह भी अनुमति दी है कि वो अपने एक्सपोर्ट कोटे को (आंशिक या पूर्ण तौर पर) घरेलू मासिक बिक्री कोटे के साथ अदला-बदली कर सकती हैं. लेकिन यह अदला-बदली 31 मार्च 2026 से पहले करनी होगी. हालांकि, एक बार निर्यात कोटा घरेलू कोटे के साथ एक्सचेंज हो जाने पर इसे वापस नहीं लिया जाएगा.
पिछले दिनों जो खबरें आई थीं उसमें कहा गया था कि भारत से चीनी का निर्यात फिलहाल अव्यावहारिक माना जा रहा है. घरेलू चीनी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों की तुलना में काफी ज्यादा हैं और ऐसे में निर्यातक इससे बच रहे हैं. उद्योग को दिसंबर के मध्य से मार्च के बीच ही निर्यात के कुछ अवसर दिखाई दे रहे हैं, जब भारतीय चीनी को बाहर भेजा जा सकता है. ज्यादा रकबे और पैदावार के कारण 2025-26 सीजन में अतिरिक्त उत्पादन की उम्मीद करते हुए, उद्योग 20 लाख टन निर्यात की अनुमति देने की मांग कर रहा है. '
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