क्यों नाराज हैं आढ़तिया और राइस म‍िलर, आख‍िर धान के 'संग्राम' का कब होगा समाधान? 

क्यों नाराज हैं आढ़तिया और राइस म‍िलर, आख‍िर धान के 'संग्राम' का कब होगा समाधान? 

Paddy Procurement: धान से क‍ितना चावल न‍िकलता है इसका मानक तय है. इसका औसत 67 प्रतिशत है. जबक‍ि अब यह सवाल उठ रहे हैं क‍ि धान की कुछ क‍िस्मों में चावल की इतनी र‍िकवरी नहीं है. ऐसे में तय मानक में छूट दी जानी चाह‍िए. ऐसे में बड़ा सवाल यह है क‍ि क्या सरकार मानक बदलने जा रही है?  

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क्यों नाराज हैं आढ़तिया और राइस म‍िलर, आख‍िर धान के 'संग्राम' का कब होगा समाधान? धान खरीद में आढ़त‍ियों और म‍िलर्स की क्या है भूम‍िका?

धान खरीद में आ रही समस्या को लेकर इस साल न स‍िर्फ क‍िसान नाराज हैं बल्क‍ि आढ़तिया और राइस म‍िलर भी मोर्चा खोले हुए हैं. क‍िसान जहां खरीद की सुस्त रफ्तार से परेशान हैं वहीं आढ़त‍ियों और राइस म‍िलर्स का भी अपना रोना है. यह दोनों भी खरीद व्यवस्था से जुड़े हुए हैं. इसल‍िए केंद्र सरकार भी इस मामले पर सफाई दे रही है और खासतौर पर हर‍ियाणा सरकार ने भी अपनी स्थ‍िति स्पष्ट की है. आईए समझते हैं क‍ि आढ़त‍ियों और म‍िलर्स की समस्या क्या है, खरीद में इनकी भूम‍िका क‍ितनी बड़ी है और आख‍िर धान पर चल रहे संग्राम का समाधान कब होगा?

सबसे पहले आढ़त‍ियों की बात. आढ़ती मंडी व्यवस्था का अहम हिस्सा हैं. वो धान खरीद, उसकी सफाई, बोरी में भराई और सिलाई से लेकर उठान तक का काम करते हैं. इसके बदले सरकार उन्हें आढ़त यानी कमीशन देती है. एमएसपी का पैसा अब सीधे क‍िसानों के बैंक खातों में भेज द‍िया जाता है, जबक‍ि आढ़त का पैसा आढ़त‍ियों को म‍िलता है. सरकार के साथ आढ़त‍ियों का व‍िवाद कमीशन यानी आढ़त को लेकर है.

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हर‍ियाणा सरकार का दावा  

हर‍ियाणा सरकार ने आढ़तियों के कमीशन को लेकर एक बड़ा दावा क‍िया है. इसके मुताब‍िक भारत सरकार से लगातार पत्राचार किया जा रहा है ताकि राज्य के आढ़तियों को आर्थ‍िक नुकसान से बचाया जा सके. इस मामले में जब तक भारत सरकार से कोई आदेश प्राप्त नहीं होता है तब तक राज्य सरकार खुद संज्ञान लेते हुए आढ़तिया कमीशन 46 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 55 रुपये निर्धारित किया है. हालांक‍ि, हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा है क‍ि यह पैसा न‍िर्धार‍ित मानक से बहुत कम है.

आढ़त‍ियों का कमीशन क‍ितना है? 

गर्ग ने राज्य सरकार पर आढ़त घटाने का आरोप लगाया है. गर्ग ने कहा कि आढ़तियों का कमीशन एमएसपी पर 2.5 फीसदी तय है. लेक‍िन सरकार ने इस न‍ियम को ताक पर रखकर कमीशन स‍िर्फ 46 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय कर द‍िया था. जबक‍ि 2.5 फीसदी के हिसाब से 2320 रुपये प्रति क्विंटल के धान पर 58 रुपये कमीशन बनता है. अब राज्य सरकार केंद्र की ओर से आदेश आने तक सिर्फ 55 रुपये देने की बात कर रही है. यह आढ़तियों के साथ ज्यादती है. जबक‍ि कृषि अर्थव्यवस्था में आढ़तिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरकार चाह‍कर भी इन्हें नकार नहीं पाती.   

राइस म‍िलर्स की समस्या क्या है? 

सरकार धान खरीदती जरूर है लेक‍िन उसको स्टोर नहीं करती. स्टोर चावल क‍िया जाता है. धान खरीद के बाद उसे चावल मिलों को म‍िल‍िंग के ल‍िए भेजा जाता है. म‍िलों को तैयार चावल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को देना होता है. धान के आउट टर्न रेश्यो (ओटीआर) यानी धान से चावल की र‍िकवरी का मानक तय है. इसका औसत 67 प्रतिशत है. जबक‍ि अब यह सवाल उठ रहे हैं क‍ि धान की किस्म पीआर-126 सामान्य से 4-5 फीसदी कम ओटीआर दे रही है. कुछ म‍िलर्स का कहना है क‍ि एक क्व‍िंटल धान से महज 62 किलो चावल ही निकल पाता है. ऐसे में तय मानक में छूट दी जानी चाह‍िए, ताक‍ि म‍िलर्स को घाटा न हो. 

केंद्र ने क्या कहा? 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी का कहना है क‍ि मिल मालिकों की ओर से एफसीआई द्वारा निर्धारित मौजूदा 67 फीसदी ओटीआर को कम करने की मांग की गई है. जिसमें धान की किस्म पीआर-126 में कम ओटीआर का ज‍िक्र क‍िया गया है. हालांक‍ि, पंजाब में पीआर-126 किस्म के धान का उपयोग 2016 से किया जा रहा है. पहले कभी इस तरह की कोई समस्या सामने नहीं आई थी.

यह बताया गया है कि संकर किस्मों में पीआर-126 की तुलना में भी काफी कम ओटीआर है. जबक‍ि, भारत सरकार द्वारा तय ओटीआर मानक पूरे भारत में एक समान हैं. ऐसे में धान की वर्तमान ओटीआर की समीक्षा के लिए आईआईटी खड़गपुर को एक स्टडी का काम सौंपा गया है. पंजाब सहित कई सूबों में इसे लेकर काम क‍िया जा रहा है. 

हर‍ियाणा की सफाई 

उधर, हर‍ियाणा सरकार ने कहा क‍ि राज्य में खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2024-25 के दौरान 1319 राईस मिलर्स ने मिलिंग के ल‍िए रज‍िस्ट्रेशन करवाया है. प्रदेश में कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) डिलीवरी के लिए सभी राईस मिलर्स को 31 अगस्त, 2024 तक 62.58 करोड़ रुपये का बोनस दिया गया है. इसके अलावा, हाइब्रिड किस्म के धान से चावल की र‍िकवरी की मात्रा का मामला भारत सरकार के समक्ष रखा गया है.

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