हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल विवाद के बीच सिरसा और फतेहाबाद के किसानों को आखिरकार राहत मिली है. खेतों में हरियाली की उम्मीद फिर से जगी है क्योंकि भाखड़ा नहर का पानी अब इन इलाकों तक पहुंच चुका है. गर्मी और पानी की भारी कमी से जूझ रहे लोगों और किसानों के लिए यह खबर किसी संजीवनी से कम नहीं है.
भाखड़ा से छोड़ा गया पानी अब हरियाणा की नहरों में बह रहा है. किसानों को सबसे ज्यादा चिंता थी कि धान की बुआई और हरे चारे की खेती के लिए पानी कहां से आएगा. अब पानी मिलने से इन दोनों जरूरी फसलों की खेती समय पर शुरू हो सकेगी.
भाखड़ा मुख्य नहर से पानी दो दिन में तोहाना हेड तक पहुंचता है. वहां से यह छह प्रमुख नहरों में बंटता है:
इसी वजह से फतेहाबाद का तोहाना क्षेत्र “नहरों का शहर” कहलाता है.
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अब सिरसा जिले के सभी प्रमुख इलाकों जैसे कालांवाली, डबवाली, रानियां और सिरसा शहर में नहर का पानी पहुंच चुका है. इससे खेतों की सिंचाई और पीने के पानी की समस्या दोनों का समाधान हो जाएगा.
पिछले एक महीने से लोग निजी टैंकरों पर निर्भर थे, जिनका खर्च ₹700–800 प्रति टैंकर तक पहुंच गया था. लेकिन अब नहरों से जुड़ी वाटर हाउसिंग स्कीमें फिर से भरने लगी हैं, जिससे घरेलू जल संकट भी कम होगा.
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पानी की देरी के कारण कपास की बुआई रुकी हुई थी और किसान परेशान थे. सूखे खेतों से उत्पादन घटने का डर था. लेकिन अब पंजाब से आए 2,800 क्यूसेक पानी ने इन चिंताओं को कुछ हद तक दूर कर दिया है.
नथूसरी और ऐलनाबाद जैसे क्षेत्रों में अभी पानी नहीं पहुंचा है. यहां पानी फतेहाबाद ब्रांच के जरिये आता है और उम्मीद है कि रविवार तक पहुंच जाएगा.
बानी और पंजुआना सबडिवीजन के एसडीओ धर्मपाल पंवार ने बताया कि मम्मर, सहदेवा, रोड़ी ब्रांच, गुड़ा, रंगा, बानी डिस्ट्रिब्यूटरी और ओटू फीडर में भी पानी छोड़ा गया है, जिससे राजस्थान की सीमा से सटे गांवों को लाभ मिलेगा.
हालांकि पानी मिल गया है, लेकिन कई गांवों में पानी के टैंकों की सफाई अभी तक नहीं हुई है. यदि जल्दी सफाई नहीं हुई, तो दूषित पानी पीने से बीमारियां फैल सकती हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है.
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