इस समय रबी फसल का सीजन चल रहा है. किसान अपने खेतों में रबी फसल की बुआई में व्यस्त हैं. इस सीजन में कई किसान गेहूं के साथ-साथ सरसों की बुआई भी कर रहे हैं. तो वहीं कई किसान इसकी बुआई भी कर चुके हैं. ऐसे में किसानों के लिए सरसों की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य बातों को समझना जरूरी है ताकि फसल को होने वाले नुकसान से बचा जा सके और बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सके. ऐसे में आइए जानते हैं सरसों की फसल में किस खाद का करें इस्तेमाल.
सरसों की फसल से बेहतर उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ केंचुआ खाद, गोबर या कम्पोस्ट खाद का भी प्रयोग करना चाहिए. इन खाद की कमी से फसल पर विपरीत प्रभाव पर सकता है. सिंचित क्षेत्रों के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर या वर्मीकम्पोस्ट 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर को बुआई से पहले खेत में डालना चाहिए. साथ ही जुताई के समय खेत में अच्छी तरह उसे मिला देना चाहिए. वर्षा वाले क्षेत्रों में स्थानीय खाद (गोबर या कम्पोस्ट) 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से वर्षा से पहले खेत में डालना चाहिए और वर्षा ऋतु में खेत की तैयारी के समय खेत में मिला देना चाहिए.
ये भी पढ़ें: कीटनाशकों से किसान को हुई समस्या तो शुरू की ऑर्गेनिक खेती, फ्लेवर्ड गुड़ से हो रही है लाखों की कमाई
सरसों से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने से उपज पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना बेहतर रहता है. सरसों को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे प्राथमिक तत्वों के अलावा अन्य फसलों की तुलना में अधिक सल्फर तत्वों की आवश्यकता होती है.
गंधक खाद फसलों में प्रोटीन का प्रतिशत बढ़ाने में मदद करता है और क्लोरोफिल के निर्माण में भी योगदान देता है. जिसके कारण पत्तियाँ हरी रहती हैं और पौधों के लिए भोजन का उत्पादन किया जा सकता है. सरसों की फसल में गंधक खाद के प्रयोग से पौधों की जड़ों में अधिक गांठें बनने में मदद मिलती है. जिसके कारण पौधों की जड़ों में मौजूद राइजोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक नाइट्रोजन लेकर फसलों को अधिक से अधिक नाइट्रोजन उपलब्ध कराने में मदद करते हैं.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today