सब्जियों और फलों की ब्रिटेन में भारी किल्लत, टमाटर-गोभी के लिए तय हुआ 'कोटा'

सब्जियों और फलों की ब्रिटेन में भारी किल्लत, टमाटर-गोभी के लिए तय हुआ 'कोटा'

महंगाई और दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में खराब मौसम की वजह से फसलों की पैदावार कम होने के कारण ब्रिटेन में सब्जियों और फलों की किल्लत हो गई है. वहीं यूके की तीन सबसे बड़ी सुपरमार्केट ने आम लोगों के लिए टमाटर, खीरा और मिर्च समेत कई ताजे फल और सब्जियों की खरीद सीमित कर दी है.

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सब्जियों और फलों की ब्रिटेन में भारी किल्लत, टमाटर-गोभी के लिए तय हुआ 'कोटा'सब्जियों और फलों की ब्रिटेन में भारी किल्लत

यूनाइटेड किंगडम (UK) में रहने वाले लोगों के लिए इनदिनों फल और सब्जियां खरीदना मुश्किल हो गया है. दरअसल, खराब मौसम के कारण स्पेन और मोरक्को जैसे पारंपरिक सप्लाई करने वाले देशों से सप्लाई बाधित होने के कारण यूनाइटेड किंगडम (UK) को सब्जियों और फलों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं भारतीय निर्यातकों को यूके को और अधिक सब्जियों और फलों को निर्यात करने का अवसर दिखाई दे रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन में सब्जियों और फलों की भारी कमी है. टमाटर, शिमला मिर्च, ककड़ी, धनिया, करेला, मिर्च और केला आदि की विशेष रूप से कमी है. वहीं यूके की तीन सबसे बड़ी सुपरमार्केट ने आम लोगों के लिए टमाटर, खीरा और मिर्च समेत कई ताजे फल और सब्जियों की खरीद सीमित कर दी है.

दरअसल, ग्रॉसरी स्टोर कंपनी एस्डा ने कहा कि उसने टमाटर, मिर्च, खीरा, लेटयूस, सैलेड बैग, ब्रोंकली, फूलगोभी की खरीद के लिए 3 पैक की सीमा तय कर दी है. एक अन्य ग्रॉसरी स्टोर कंपनी मॉरिसन ने कहा कि उसने भी टमाटर खीरे, सलाद, और मिर्च कि खरीद पर प्रति ग्राहक दो आइटम की सीमा तय कर दी है. इसके अलावा ग्रॉसरी कंपनी एएसडीए भी आठ सब्जियों के केवल तीन-तीन आइटम ले जाना की ही अपने ग्राहकों को अनुमति दी है. 

ब्रिटेन में सब्जियों और फलों की किल्लत

महंगाई और दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में खराब मौसम की वजह से फसलों की पैदावार कम होने के कारण ब्रिटेन में सब्जियों और फलों की किल्लत हुई है. ब्रिटेन आमतौर पर दिसंबर से मार्च माह तक अपने टमाटर का 95 प्रतिशत और सलाद में इस्तेमाल होने वाली अन्य सब्जियों और फलों का 90 प्रतिशत आयात करता है.

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भारत निर्यात अवसर का उठा सकता है लाभ 

विशेषज्ञों के अनुसार, यूके में सब्जियों की मांग बढ़ी है, जबकि टमाटर और शिमला मिर्च, लेटस जैसी सब्जियां भारत से निर्यात नहीं की जाती हैं. ये उत्पाद स्थानीय रूप से उगाए जाते हैं या पड़ोसी देशों से मंगाए जाते हैं और यही कारण है कि भारत उनके साथ व्यावसायिक रूप से कंपटीशन नहीं करता है, क्योंकि कम मूल्य की उपज को भेजना आसान नहीं है. हालांकि, भारत यूके को निर्यात बढ़ाने के अवसर का लाभ उठा सकता है.

मिलेट्स उत्पादों को दिया जाएगा बढ़ावा 

एपिडा (APEDA) के चेयरमैन एम अंगमुथु ने कहा, "निश्चित रूप से यह अवसर की विंडो है और हम इसका लाभ उठाने के लिए इसका पता लगाएंगे. यूके और यूरोप भारतीय कृषि और खाद्य उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण निर्यात जगह हैं.” अंगमुथु ने कहा कि एपीडा बड़े पैमाने पर भारतीय बागवानी और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देगा. उन्होंने आगे कहा, "हम भारतीय जीआई और मिलेट्स उत्पादों को भी बढ़ावा देंगे." 

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11 प्रतिशत बढ़ा सब्जियों का निर्यात

अप्रैल-दिसंबर 2022-23 के दौरान मात्रात्मक दृष्टि से यूके को भारत के ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात 15.46 प्रतिशत बढ़कर 23,671 टन हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 20,501 टन था. मूल्य के लिहाज से, यूके को ताजे फलों और सब्जियों का निर्यात एक साल पहले के 31.5 मिलियन डॉलर के मुकाबले 11 प्रतिशत बढ़कर 35.15 मिलियन डॉलर हो गया.
 

अंगूर के निर्यात में हुई बढ़ोतरी

शिपमेंट में बढ़ोतरी मुख्य रूप से ताजे अंगूरों के अधिक निर्यात के कारण हुई है. वहीं इस अवधि के दौरान ताजी सब्जियों का शिपमेंट एक साल पहले के 2,434 टन के मुकाबले मामूली कम होकर 2,388 टन रहा.

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