जलवायु परिवर्तन के चलते फरवरी महीने में ही बढ़ता हुआ तापमान किसानों को डराने लगा है. फरवरी महीने में बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल को नुकसान की बात कही जा रही है. ऐसे में किसान से लेकर कृषि वैज्ञानिक भी चिंतित नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में इस बार 97.45 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है. प्रदेश में ज्यादातर किसानों ने पछेती गेहूं की फसल लगाई है. कहा जा रहा है कि बढ़ते तापमान से इस गेहूं को ज्यादा खतरा हो सकता है. गर्म मौसम के साथ-साथ चल रही पछुआ हवाएं गेहूं की बालियों को झुलसा रही हैं जिससे पौधों की लंबाई और गेहूं की बालियां सिकुड़ने लगी हैं.
ऐसे में पैदावार घटने का संकट पैदा हो गया है. पिछले साल फरवरी के महीने में अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेंटीग्रेड था जो इस बार 33 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच चुका है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा सलाह दी जा रही है.
तापमान अब साल दर साल लगातार बढ़ रहा है. लखनऊ जिले की ही बात करें तो पिछले साल फरवरी में अधिकतम तापमान 25.9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. लेकिन इस साल 22 फरवरी को अधिकतम तापमान 32.1 डिग्री और न्यूनतम तापमान 13.1 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया जो पिछले वर्ष से 6.2 डिग्री अधिक है. वही 22 से 23 फरवरी के बीच तापमान में .5 डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हुई है. लगातार बढ़ रहे तापमान को देखकर मौसम वैज्ञानिक आलोक पांडे बताते हैं कि फरवरी महीने में ही 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान पहुंचने की संभावना है.
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मौसम में हो रहे लगातार परिवर्तन के चलते सबसे ज्यादा किसान को परेशानी हो रही है. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में गेहूं की फसल के लिए बढ़ रहा तापमान चिंता का विषय है. लखनऊ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे ने बताया कि तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसी स्थिति में किसान हवा न चलने पर शाम के समय गेहूं की सिंचाई करें. खेतों में इतना ही पानी दें कि जो रात में सूख जाए क्योंकि ज्यादा पानी रहने से हवा से पौधे गिर जाएंगे.
डॉ दुबे कहते हैं, सीड ड्रिल मशीन के द्वारा जिन किसानों ने गेहूं की खेती की है, उनकी फसल को गिरने की संभावना कम है. किसानों को सिंचाई के साथ प्रति एकड़ डेढ़ किलोग्राम एनपीके 18:18:18 या 19:19:19 डेढ़ सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे पौधों में पोषक तत्व की कमी दूर होगी और बढ़ते हुए तापमान से पौधे पर असर नहीं रहेगा. गेहूं की बालियों में दानों को सिकुड़ने और चमक पर भी असर नहीं पड़ेगा. वही उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा.
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